मुंबई की बारिश अपने साथ सिर्फ भीगी गलियां और रिमझिम फुहारें ही नहीं लाती, बल्कि शहर भर में सड़कों पर गड्ढों की फौज भी खड़ी कर देती है। सालों से, मुंबईकर इस समस्या से जूझते रहे हैं। लेकिन BMC ने एक बड़ा वादा किया है – मुंबई की हर सड़क को सीमेंट-कंक्रीट से पक्का करना। मगर अब मानसून की आहट सुनाई देने लगी है, और समय बीएमसी के खिलाफ दौड़ रहा है।
बीएमसी की ये महत्वाकांक्षी योजना कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। कुल 397 किलोमीटर सड़क को नए सिरे से बनाना है, और इसकी लागत 6,080 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। अभी तक, सिर्फ 20% काम पूरा हुआ है, और मानसून से पहले इस काम को तेज़ी से आगे बढ़ाना होगा।
अधिकारियों के सामने दोहरी चुनौती है। एक तरफ, 31 मई तक 50% निर्माण पूरा करना है। मगर दूसरी तरफ, 30 अप्रैल के बाद कोई नई खुदाई नहीं हो सकती। क्यों? क्योंकि कंक्रीट बिछाने और उसे सेट होने में लंबा समय लगता है, जो बारिश के मौसम में और मुश्किल हो जाता है।
एक अधिकारी ने स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया, “अगर हम खुदाई का काम अभी पूरा कर लें, तो मानसून में कम से कम कंक्रीट बिछाने पर ध्यान लगा सकते हैं। इसलिए, समय सीमा का दबाव बहुत ज़्यादा है।”
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की मुंबई को ‘गड्ढा-मुक्त’ करने की प्रतिज्ञा इस परियोजना के पीछे की मुख्य वजह है। मुंबई के 2000 किलोमीटर के सड़क नेटवर्क में से अभी तक सिर्फ आधी सड़कें सीमेंट-कंक्रीट से बनी हैं। सीमेंट-कंक्रीट सड़कें अधिक मज़बूत और टिकाऊ होती हैं, जिससे बारिश के मौसम में गड्ढों की समस्या कम हो जाती है।