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BMC Women Safety App: मुंबई में BMC का 100 करोड़ का महिला सुरक्षा ऐप फंड की कमी से अटका, रद्द होने की आशंका

BMC Women Safety App: मुंबई में BMC का 100 करोड़ का महिला सुरक्षा ऐप फंड की कमी से अटका, रद्द होने की आशंका

BMC Women Safety App: मुंबई, जो अपनी रफ्तार और सपनों के लिए जानी जाती है, वहां की महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक बड़ा कदम अधर में लटक गया है। पिछले साल फरवरी में बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) ने एक खास मोबाइल ऐप (women safety app) लाने की घोषणा की थी, जो सड़कों पर यौन उत्पीड़न और छेड़छाड़ का सामना कर रही महिलाओं की मदद करेगा। इस ऐप को बनाने के लिए 100 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था, लेकिन डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी यह परियोजना शुरू नहीं हो सकी। अब खबर है कि फंड की कमी (fund crunch) और पुलिस हेल्पलाइन के साथ ओवरलैप की वजह से यह ऐप शायद कभी बन ही न पाए।

2024-25 के बजट पेश करते समय तत्कालीन नगर आयुक्त आई.एस. चहल ने इस ऐप की बात कही थी। यह ऐप BMC के प्लानिंग और सूचना प्रौद्योगिकी (IT) विभाग द्वारा तैयार किया जाना था। इसकी योजना थी कि ऐप के जरिए महिलाएं आपात स्थिति में तुरंत मदद मांग सकें। चाहे वह पुलिस हो, होम गार्ड्स हों, या सामाजिक संगठन, सभी को इस ऐप से जोड़ा जाना था। इसके लिए एक अलग कंट्रोल रूम बनाने की भी बात थी, जो शिकायतें दर्ज करेगा और संबंधित एजेंसियों के साथ तालमेल बनाएगा। इस ऐप का मकसद था कि मुंबई की सड़कों पर महिलाएं खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करें। लेकिन, यह सारी योजना सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गई।

BMC ने अपने जेंडर बजट में 100 करोड़ रुपये अलग रखे थे, जिसमें से एक हिस्सा इस महिलाओं की सुरक्षा ऐप (women safety app) के लिए था। लेकिन, नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि उन्हें अभी तक इस प्रोजेक्ट के लिए एक पैसा भी नहीं मिला है। एक अधिकारी ने बताया कि फंड की कमी (fund crunch) की वजह से ऐप का काम शुरू नहीं हो सका। इसके अलावा, एक और दिक्कत सामने आई है। मुंबई पुलिस पहले से ही एक महिलाओं की हेल्पलाइन चला रही है, जिसके चलते BMC के ऐप की जरूरत और उपयोगिता पर सवाल उठ रहे हैं। अधिकारियों के बीच यह असमंजस है कि यह ऐप पुलिस की हेल्पलाइन से अलग क्या नया देगा।

मुंबई जैसे शहर में, जहां लाखों महिलाएं रोजाना लोकल ट्रेनों, बसों, और सड़कों पर सफर करती हैं, वहां सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है। आए दिन छेड़छाड़, उत्पीड़न, और असुरक्षा की खबरें सामने आती हैं। 2023 में एक सर्वे में पाया गया कि मुंबई में 60 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं रात में अकेले सफर करने में असहज महसूस करती हैं। ऐसे में, BMC का यह ऐप महिलाओं के लिए एक उम्मीद की किरण बन सकता था। इस ऐप की योजना थी कि यह न केवल आपातकालीन मदद देगा, बल्कि महिलाओं को सुरक्षित रास्तों की जानकारी, निकटतम पुलिस स्टेशन का विवरण, और तुरंत कॉल करने की सुविधा भी देगा। लेकिन, फंड की कमी ने इस सपने को धुंधला कर दिया।

यह पहली बार नहीं है जब BMC की कोई परियोजना फंड की कमी की वजह से अटकी हो। पहले भी कई योजनाएं, जैसे सड़कों की मरम्मत और नालों की सफाई, बजट की कमी के कारण देरी का शिकार हुई हैं। लेकिन, महिलाओं की सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुद्दे पर यह रुकावट निराशाजनक है। मुंबई पुलिस की हेल्पलाइन, जैसे 100 और 103 नंबर, पहले से काम कर रही हैं, लेकिन इनके बारे में जागरूकता की कमी और कई बार धीमी प्रतिक्रिया की शिकायतें मिलती हैं। BMC का ऐप इन कमियों को दूर करने का मौका हो सकता था, क्योंकि यह स्थानीय स्तर पर काम करता और नगर निगम की पहुंच का फायदा उठाता।

मुंबई की महिलाएं इस ऐप का बेसब्री से इंतजार कर रही थीं। खासकर, कॉलेज जाने वाली छात्राएं, कामकाजी महिलाएं, और जो रात में देर तक बाहर रहती हैं, उनके लिए यह ऐप एक ढाल बन सकता था। उदाहरण के लिए, 2024 में एक घटना में एक महिला ने बताया कि रात में ऑटो रिक्शा में असुरक्षित महसूस करने पर उसने पुलिस हेल्पलाइन पर कॉल किया, लेकिन मदद पहुंचने में देरी हुई। अगर BMC का ऐप काम कर रहा होता, तो शायद उसकी शिकायत तुरंत दर्ज हो जाती और स्थानीय होम गार्ड्स या पुलिस जल्दी पहुंच जाते।

इस परियोजना के रुकने से न केवल महिलाओं की उम्मीदें टूटी हैं, बल्कि यह सवाल भी उठ रहा है कि BMC अपने जेंडर बजट का सही इस्तेमाल क्यों नहीं कर पा रही। 100 करोड़ रुपये का बजट कोई छोटी राशि नहीं है, लेकिन इसका एक हिस्सा भी इस ऐप तक नहीं पहुंचा। इससे BMC की प्राथमिकताओं और फंड आवंटन की प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि पुलिस हेल्पलाइन के साथ तालमेल बनाकर इस ऐप को और प्रभावी बनाया जा सकता था, जैसे कि पुलिस और BMC की सेवाओं को एक ही प्लेटफॉर्म पर जोड़ना।

मुंबई, जो भारत का आर्थिक केंद्र है, वहां महिलाओं की सुरक्षा के लिए तकनीक का इस्तेमाल एक जरूरी कदम है। देश के कई अन्य शहरों, जैसे दिल्ली और बेंगलुरु, में पहले से ही महिलाओं के लिए सुरक्षा ऐप काम कर रहे हैं। दिल्ली का ‘हिम्मत’ ऐप और बेंगलुरु का ‘सुरक्षा’ ऐप इसका उदाहरण हैं। इन ऐप्स ने लाखों महिलाओं को आपात स्थिति में मदद पहुंचाई है। मुंबई, जो हमेशा नई तकनीक अपनाने में आगे रहता है, वहां ऐसा ऐप न होना निराशाजनक है।

इस खबर ने मुंबई की सड़कों पर चलने वाली हर महिला के मन में एक सवाल छोड़ दिया है। जब तक यह ऐप हकीकत नहीं बनता, तब तक महिलाओं को मौजूदा हेल्पलाइनों और अपनी सतर्कता पर ही निर्भर रहना होगा। BMC की यह परियोजना अगर शुरू हो पाती, तो यह न केवल महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाती, बल्कि शहर को और समावेशी और सुरक्षित बनाने में भी मदद करती। लेकिन, अब यह साफ है कि फंड की कमी और योजना की अस्पष्टता ने इस सपने को फिलहाल रोक दिया है।

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