मुंबई

मानवीयता का संदेश: बॉम्बे हाईकोर्ट ने झुग्गी-झोपड़ी वालों को शतरंज के मोहरे नहीं समझने का दिया निर्देश, बेदखली नोटिस पर रोक!

बॉम्बे हाईकोर्ट ने झुग्गी-झोपड़ी वालों को शतरंज के मोहरे नहीं समझने का दिया निर्देश
Credit: The ET
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एसआरए को कड़ा निर्देश दिया है कि वह झुग्गी-झोपड़ी वालों को बेदखली का नोटिस न दे। अदालत ने कहा कि वे इंसान हैं, शतरंज के मोहरे नहीं।

मुंबई में लाखों लोग झुग्गी-झोपड़ियों में रहते हैं। उन्हें अक्सर बेदखली का सामना करना पड़ता है।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने झोपड़पट्टी पुनर्वास प्राधिकरण (एसआरए) को कड़ा निर्देश दिया है कि वह झुग्गी-झोपड़ी वालों को बेदखली का नोटिस न दे। अदालत ने कहा कि वे इंसान हैं, शतरंज के मोहरे नहीं।

न्यायमूर्ति जी.एस.पटेल और न्यायमूर्ति कमल खट्टा की खंडपीठ ने कहा कि 7 दिनों में घर खाली करने का नोटिस गलत है। खंडपीठ ने एजीआरसी सदस्यों को अवमानना कार्यवाही की चेतावनी भी दी।

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अदालत ने कहा कि बेदखली के लिए केवल घंटों का उल्लेख करते हुए नोटिस नहीं दिया जाएगा। विशिष्ट तारीख का उल्लेख किया जाना चाहिए और वह तारीख केवल एक सप्ताह का भी नहीं होना चाहिए।

खंडपीठ ने कहा कि झुग्गी-झोपड़ी वाले इंसान हैं, शतरंज के मोहरे नहीं। उन्होंने कहा कि एसआरए को 18 या 20 वर्षों के बाद यह निर्णय लेने का अधिकार नहीं है कि पूरे परिवारों को घरों को खाली करने के लिए सात दिन पर्याप्त हैं।

यह फैसला उन लाखों झुग्गी-झोपड़ी वालों के लिए एक बड़ी राहत है जिन्हें अक्सर बेदखली का सामना करना पड़ता है।

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बॉम्बे हाईकोर्ट का यह फैसला झुग्गी-झोपड़ी वालों के लिए एक बड़ी जीत है। यह फैसला उन्हें बेदखली से सुरक्षा प्रदान करेगा और उनकी मानवीयता को मान्यता देगा।

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