शहीद मेजर अनुज सूद के परिवार को आर्थिक मदद देने से इनकार करने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की कड़ी आलोचना की है। कोर्ट ने सरकार के इस रवैये पर हैरानी जताते हुए कहा कि राज्य सरकार को इस मामले पर जल्द से जल्द हलफनामा देकर अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।
आतंकवादियों से बंधकों को छुड़ाने के अभियान में मेजर अनुज सूद ने 2 मई 2020 को अपनी जान की बाज़ी लगा दी थी। उन्हें उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। मेजर सूद की विधवा, आकृति सूद ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार की नीति के तहत शहीद के परिवार को मिलने वाले लाभ उन्हें भी दिए जाने चाहिए।
सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे इस मामले पर ‘विशेष केस’ के तौर पर फ़ैसला नहीं ले सकते। इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी ज़रूरी है। चुनाव आचार संहिता के चलते अभी कैबिनेट की बैठक संभव नहीं है, इसलिए इस पर कोई नीतिगत निर्णय नहीं लिया जा सकता। इससे पहले हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री से कहा था कि वे मेजर सूद के परिवार को मिलने वाली मदद पर एक सप्ताह में ‘विशेष केस’ मानकर निर्णय लें।
सरकार के इस जवाब से बॉम्बे हाईकोर्ट बेहद नाराज़ है। कोर्ट ने कहा, “हम सरकार के रवैये से बहुत हैरान हैं। कोर्ट के आदेश बिल्कुल स्पष्ट थे। किसी ने अपनी जान देश के लिए कुर्बान कर दी है और आप मदद नहीं कर सकते? हमने मुख्यमंत्री से यह गुज़ारिश की थी इस पर फ़ैसला लें। आप अगर मानने को तैयार नहीं हैं, तो हलफनामा देकर अपना पक्ष रखें।”
कोर्ट ने सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि मेजर सूद महाराष्ट्र के मूल निवासी नहीं थे इसलिए उन्हें यह लाभ नहीं मिल सकते। कोर्ट ने ज़ोर देकर कहा कि इस मामले में मदद देना सरकार की ज़िम्मेदारी है, और इसके रास्ते में कैबिनेट की बैठक या चुनाव जैसी बाधाएं नहीं आनी चाहिए।































