मुंबई

KEM Hospital Waterlogging: बॉम्बे हाई कोर्ट ने KEM अस्पताल के जलभराव को गंभीर बताया, BMC को तत्काल कदम उठाने को कहा

KEM Hospital Waterlogging: बॉम्बे हाई कोर्ट ने KEM अस्पताल के जलभराव को गंभीर बताया, BMC को तत्काल कदम उठाने को कहा

KEM Hospital Waterlogging: मुंबई का KEM अस्पताल, जिसे कभी देश का सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान माना जाता था, आज एक गंभीर समस्या से जूझ रहा है। 26 मई 2025 को हुई भारी बारिश ने इस अस्पताल के निचले हिस्सों को पानी से भर दिया। मरीजों को टखने तक पानी में बैठना पड़ा, और अस्पताल के गलियारों में पानी की धाराएं बह रही थीं। यह दृश्य न केवल चिंताजनक था, बल्कि यह भी दिखाता था कि मुंबई जैसे महानगर में बुनियादी ढांचे की कितनी कमी है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया और तुरंत कार्रवाई के आदेश दिए। कोर्ट ने Brihanmumbai Municipal Corporation (BMC) को निर्देश दिया कि वह KEM अस्पताल जलभराव सुधार (KEM Hospital Waterlogging Fix) के लिए तत्काल कदम उठाए और ठोस उपाय सुझाए।

यह पहली बार नहीं है जब KEM अस्पताल ने ऐसी स्थिति का सामना किया है। 2017 में भी भारी बारिश के कारण अस्पताल के निचले तल पर पानी भर गया था, और मरीजों को ऊपरी मंजिलों पर स्थानांतरण करना पड़ा था। उस समय अस्पताल के डीन ने बताया था कि दो पंपों के बावजूद पानी का दबाव इतना अधिक था कि स्थिति नियंत्रित करना मुश्किल हो गया था। इस बार भी, 26 मई की बारिश ने मुंबई को 107 सालों में मई के महीने में सबसे अधिक बारिश का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इसने न केवल सड़कों और रेलवे ट्रैकों को प्रभावित किया, बल्कि KEM जैसे महत्वपूर्ण संस्थान को भी नहीं बख्शा।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लिया, जैसा कि उसने 2023 में नांदेड़ और छत्रपति संभाजी नगर के सरकारी अस्पतालों में हुई मौतों के मामले में किया था। कोर्ट ने कहा कि KEM अस्पताल, जो कभी पूरे भारत में अपनी उत्कृष्टता के लिए जाना जाता था, आज ऐसी स्थिति में नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अस्पताल को स्वच्छ और सुरक्षित रखना अनिवार्य है। जलभराव समाधान (Waterlogging Solution) के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि मरीजों को ऐसी परेशानी न झेलनी पड़े।

अदालत ने BMC को नोटिस जारी किया और निर्देश दिया कि अधिकारी अस्पताल का दौरा करें और जलभराव की समस्या को हल करने के लिए तुरंत उपाय सुझाएं। कोर्ट ने यह भी पूछा कि स्वास्थ्य विभाग इस मामले में क्या कदम उठा रहा है। अधिवक्ता मोहित खन्ना, जिन्हें कोर्ट ने इस मामले में सहायता के लिए नियुक्त किया था, ने समाचार लेख और तस्वीरें पेश कीं, जिनमें दिखाया गया कि अस्पताल का बाल चिकित्सा विभाग पानी से लबालब था। उन्होंने बताया कि MRI कमरे और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी पानी घुस गया था, जो मॉनसून के बढ़ते प्रभाव के साथ और खराब हो सकता है।

KEM अस्पताल की यह स्थिति मुंबई की मॉनसून तैयारियों पर सवाल उठाती है। शहर में हर साल भारी बारिश होती है, और निचले इलाकों में जलभराव की समस्या आम है। BMC ने मॉनसून से पहले कई दावे किए थे, जैसे कि नालों की सफाई और मिनी-पंपिंग स्टेशनों की स्थापना। लेकिन 26 मई की बारिश ने इन तैयारियों की पोल खोल दी। अस्पताल जैसे संवेदनशील स्थान पर पानी का घुसना न केवल मरीजों के लिए खतरा है, बल्कि यह स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाता है।

कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 16 जून को निर्धारित की है। तब तक BMC और राज्य सरकार को अपने कदमों का विवरण देना होगा। यह पहली बार नहीं है जब बॉम्बे हाई कोर्ट ने सरकारी अस्पतालों की स्थिति पर चिंता जताई है। 2024 में भी कोर्ट ने BMC को सरकारी अस्पतालों में लापरवाही के मामले में नोटिस जारी किया था। KEM अस्पताल जलभराव सुधार (KEM Hospital Waterlogging Fix) के लिए अब ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में मरीजों को ऐसी परेशानी न झेलनी पड़े।

मुंबई की जनता और मरीज इस बात की उम्मीद कर रहे हैं कि जलभराव समाधान (Waterlogging Solution) के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। KEM अस्पताल जैसे संस्थान, जो लाखों लोगों की उम्मीद का केंद्र हैं, को ऐसी स्थिति में नहीं छोड़ा जा सकता। बॉम्बे हाई कोर्ट का यह कदम न केवल एक अस्पताल की समस्या को हल करने की दिशा में है, बल्कि यह पूरे शहर की मॉनसून तैयारियों को बेहतर करने की ओर भी एक महत्वपूर्ण कदम है।

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