देश-विदेश

Bombay High Court Adani Case: बॉम्बे हाई कोर्ट ने गौतम अडानी को दी राहत, शेयर घोटाले का मामला खत्म

Bombay High Court Adani Case: बॉम्बे हाई कोर्ट ने गौतम अडानी को दी राहत, शेयर घोटाले का मामला खत्म

Bombay High Court Adani Case: आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में खबरें हमारे लिए एक झटके की तरह आती हैं, खासकर जब बात बड़ी हस्तियों और बड़े मामलों की हो। हाल ही में एक ऐसी ही खबर ने सुर्खियां बटोरीं, जब बॉम्बे हाई कोर्ट ने अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी और मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश अडानी को एक पुराने मामले में बड़ी राहत दी।

यह मामला था शेयर बाजार में कथित हेरफेर का, जिसे लेकर सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) ने 2012 में चार्जशीट दाखिल की थी। लेकिन अब, 17 मार्च 2025 को, हाई कोर्ट ने इस मामले को खत्म कर दिया। तो आइए, इस खबर को थोड़ा करीब से समझते हैं, आसान भाषा में, जैसे दोस्तों के बीच बात हो रही हो।

क्या था पूरा मामला?

बात शुरू होती है साल 1999-2000 के उस बड़े शेयर बाजार घोटाले से, जिसमें स्टॉकब्रोकर केतन पारेख का नाम मुख्य आरोपी के तौर पर सामने आया था। यह भारत के सबसे बड़े स्टॉक मार्केट स्कैंडल में से एक था। SFIO का दावा था कि अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) के शेयरों में हेरफेर किया गया, जिसमें गौतम अडानी और राजेश अडानी भी शामिल थे। जांच एजेंसी के मुताबिक, इस हेरफेर से करीब 388 करोड़ रुपये का नाजायज फायदा हुआ था। यह रकम कोई छोटी-मोटी नहीं थी, और इसलिए मामला गंभीर हो गया।

2012 में SFIO ने चार्जशीट दाखिल की, और फिर यह मामला कोर्ट में चलता रहा। पहले मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 2014 में अडानी और AEL को बरी कर दिया था, लेकिन 2019 में सेशंस कोर्ट ने इसे पलट दिया। सेशंस कोर्ट के जज ने कहा कि शुरुआती जांच से ऐसा लगता है कि अडानी ग्रुप के प्रमोटर्स और केतन पारेख ने मिलकर शेयरों में हेरफेर किया। लेकिन अब बॉम्बे हाई कोर्ट के जज राजेश एन लड्ढा ने इस फैसले को रद्द कर दिया और अडानी बंधुओं को राहत दे दी।

कोर्ट में क्या हुआ?

इस मामले में गौतम अडानी और राजेश अडानी की ओर से सीनियर वकील अमित देसाई और विक्रम नानकानी ने पैरवी की। उन्होंने सेशंस कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। दूसरी तरफ, SFIO अपनी बात पर अड़ी थी कि शेयरों में हेरफेर हुआ और इसमें अडानी ग्रुप का हाथ था।

लेकिन हाई कोर्ट ने सारी दलीलें सुनने के बाद फैसला अडानी के पक्ष में सुनाया। कोर्ट ने माना कि इस मामले में अडानी को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। यह फैसला 17 मार्च 2025 को आया, और इसके साथ ही 13 साल पुराना यह मामला खत्म हो गया।

नई पीढ़ी के लिए इसका मतलब क्या है?

अगर आप आज की युवा पीढ़ी से हैं, तो शायद आपके मन में सवाल उठे कि यह पुरानी बात हमारे लिए क्यों मायने रखती है? दरअसल, यह मामला सिर्फ गौतम अडानी या शेयर बाजार की बात नहीं है। यह हमें बताता है कि कानून और इंसाफ का रास्ता कितना लंबा हो सकता है। 2012 से 2025 तक, यह केस 13 साल तक चला।

इस दौरान अडानी ग्रुप ने कई उतार-चढ़ाव देखे, खासकर 2023 में हिंदनबर्ग रिपोर्ट के बाद, जब ग्रुप पर स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग फ्रॉड के आरोप लगे थे। लेकिन कोर्ट का यह फैसला दिखाता है कि हर कहानी के दो पहलू होते हैं, और सच सामने आने में वक्त लगता है।

#AdaniCase #ShareScam #BombayHighCourt #GautamAdani #BusinessNews

ये भी पढ़ें: Devendra Fadnavis Aurangzeb: देवेंद्र फडणवीस भी क्रूर शासक, महाराष्ट्र कांग्रेस चीफ ने कर दी औरंगजेब से तुलना; बवाल

You may also like