मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई लोकल ट्रेनों से गिरकर हो रही यात्रियों की मौतों को अत्यंत चिंताजनक बताया है। कोर्ट ने रेलवे प्रशासन को सुझाव दिया है कि सभी लोकल ट्रेनों में ऑटोमेटिक बंद होने वाले दरवाजे (Automatic Closed Doors) लगाने पर गंभीरता से विचार किया जाए। ये सुझाव एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान आया, जिसमें लोकल ट्रेनों में बढ़ती भीड़ और सुरक्षा उपायों की कमी के कारण हो रही दुर्घटनाओं का मुद्दा उठाया गया था।
ऑटोमेटिक दरवाजों से मिल रही सुरक्षा
हाई कोर्ट ने अपने बयान में कहा कि मुंबई की एसी लोकल ट्रेनों में पहले से ही ऑटोमेटिक दरवाजे लगाए गए हैं, जिसके कारण इन ट्रेनों में यात्रियों के गिरने से होने वाली मौतों की कोई घटना सामने नहीं आई है। कोर्ट ने रेलवे और सरकार से पूछा है कि क्या सभी लोकल ट्रेनों में इस तरह के दरवाजे लगाए जा सकते हैं। कोर्ट ने इस संबंध में रेलवे से विस्तृत जवाब मांगा है।
जनहित याचिका पर सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अराधी और जस्टिस संदीप माणे की डबल बेंच ने इस मामले की सुनवाई के दौरान रेलवे की मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए। ये जनहित याचिका मुंबई लोकल ट्रेनों में भीड़भाड़ और अपर्याप्त सुरक्षा उपायों के कारण यात्रियों की जान जाने की घटनाओं को लेकर दायर की गई थी। कोर्ट ने कहा कि चलती ट्रेन से गिरकर मरने की घटनाएं न केवल दुखद हैं, बल्कि ये रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
रेलवे प्रशासन पर बढ़ा दबाव
मुंबई की लोकल ट्रेनें शहर की लाइफलाइन हैं, जो रोजाना लाखों यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाती हैं। लेकिन, भीड़ के कारण होने वाली दुर्घटनाएं और सुरक्षा की कमी ने इस व्यवस्था को जोखिम भरा बना दिया है। बॉम्बे हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद रेलवे प्रशासन पर सभी लोकल ट्रेनों में ऑटोमेटिक दरवाजे लगाने सहित सुरक्षा उपायों को मजबूत करने का दबाव बढ़ गया है।
अगली सुनवाई कब होगी?
कोर्ट ने रेलवे को इस मामले में जल्द से जल्द जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट की ये टिप्पणी और सुझाव मुंबईकरों के लिए राहत की बात हो सकती है, जो रोजाना लोकल ट्रेनों में सफर करते हैं। यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के लिए रेलवे क्या कदम उठाता है, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं।
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