बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (MAT) के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है जिसमें राज्य सरकार को दो ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को ग्रेस मार्क्स देकर पुलिस कांस्टेबल भर्ती के लिए योग्य बनाने का निर्देश दिया गया था।
नवंबर 2023 में MAT ने विनयक काशिद और आर्यन पुजारी की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को भर्ती में आरक्षण देने से तो मना कर दिया, लेकिन उनको समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए ग्रेस मार्क्स देकर पद के लिए योग्य बनाने को कहा था।
राज्य सरकार ने MAT के इस आदेश को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी है। जस्टिस ए एस चंदूरकर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को नोटिस भी जारी किया है। सरकार की दलील है कि इस आदेश से ना केवल मेरिट लिस्ट पर असर पड़ेगा, बल्कि अन्य ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों के साथ भी अन्याय होगा जिन्होंने नियमों के मुताबिक ही आवेदन किया था।
सरकार का तर्क है कि ट्रिब्यूनल का यह आदेश भर्ती के मूल नियमों के विपरीत है। सरकार का कहना है कि योग्यता परीक्षा में असफल होने के बावजूद केवल एक व्यक्ति को विशेष छूट देकर सरकारी नौकरी दिलाना गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने भले ही ट्रांसजेंडर लोगों को आरक्षण देने के लिए कहा है, लेकिन अभी तक महाराष्ट्र सरकार ने इस बारे में कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।
तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, झारखंड और बिहार जैसे राज्यों ने ट्रांसजेंडरों को आरक्षण का लाभ दिया है। इस मामले में अब आगे की सुनवाई होगी जिसमें हाई कोर्ट का फ़ैसला अहम होगा।