बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाया है जिसमें एक व्यक्ति की ज़मीन पर बिजली के ट्रांसमिशन टावर लगाए गए थे। कोर्ट ने कहा कि ‘जनहित’ को देखते हुए इन टावरों को हटाया नहीं जा सकता।
ज़मीन के मालिक, महेंद्रकुमार गरोड़िया, ने इस फ़ैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी। उनका कहना था कि खारघर विक्रोली ट्रांसमिशन लिमिटेड (KVTL) कंपनी ने उनकी ज़मीन पर बिना किसी अधिकार के टावर लगा दिए। ये कंपनी मुंबई में बिजली सप्लाई को बेहतर बनाने के लिए काम कर रही है, जिसके लिए 47 टावर लगाए जाने हैं। इनमें से 7 टावर गरोड़िया की ज़मीन पर लगने थे।
कोर्ट ने माना कि जनहित के काम को देखते हुए टावरों को हटाना उचित नहीं होगा। फिर भी, कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर गरोड़िया चाहें, तो वो निचली अदालत (सिविल कोर्ट) में जाकर KVTL कंपनी से हर्जाना मांग सकते हैं।
KVTL कंपनी के वकीलों ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने सभी ज़रूरी अनुमतियाँ लेकर ही काम शुरू किया था।
जनता को बिजली मिलना ज़रूरी है! गरोड़िया को भी अब कुछ मुआवज़ा मिलने की उम्मीद है। बाकी कोर्ट में केस लड़ने में ही उनके पैसे और समय बर्बाद होगा!
गरोड़िया जिस ज़मीन पर दावा कर रहे हैं, असल में उन्होंने उसे 99 सालों के लिए लीज़ (पट्टे) पर लिया था, जोकि अब खत्म हो चुकी है। उन्होंने लीज़ रिन्यू कराने की कोशिश भी की थी, लेकिन अभी तक मंजूरी नहीं मिली है।