बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पत्नी घरेलू हिंसा के मामले में दो विकल्प चुन सकती है। वह या तो मजिस्ट्रेट के सामने घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम (डीवी एक्ट) के तहत मामला दर्ज कर सकती है, या फिर हिंदू विवाह अधिनियम के तहत फैमिली कोर्ट (एफसी) में जा सकती है।
कोर्ट ने कहा कि अगर मामले को मजिस्ट्रेट से फैमिली कोर्ट में स्थानांतरित किया जाता है, तो इससे कार्यवाही में देरी होगी। इसके अलावा, दोनों अधिनियमों के तहत भरण-पोषण मांगने पर कोई रोक नहीं है।
न्यायमूर्ति अरुण पेडनेकर ने 9 जुलाई को अपने निर्णय में कहा कि मामले को स्थानांतरित करना पत्नी के फोरम चुनने के अधिकार को छीन लेता है और ऐसा करना खतरों से भरा होता है। मजिस्ट्रेट द्वारा धारा 12 के आवेदन का शीघ्र निपटान एक प्रमुख कारण है। कोर्ट ने उस व्यक्ति पर 10,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया, जिसने अपनी पत्नी द्वारा दायर डीवी मामले को स्थानांतरित करने की याचिका दायर की थी। यह जुर्माना पत्नी को दिया जाएगा।
पति ने यह तर्क देते हुए स्थानांतरण की मांग की थी कि डीवी मामलों को तलाक की कार्यवाही के साथ सुनवाई के लिए स्थानांतरित कर दिया जाए, क्योंकि दोनों मामलों में समान तथ्यों और साक्ष्यों का उपयोग किया जाता है। लेकिन कोर्ट ने कहा कि इस तरह के टकराव के प्रश्न का उपयोग पत्नी और उसकी नाबालिग बेटी के प्रति पूर्वाग्रह के लिए नहीं किया जाना चाहिए, जो तत्काल भरण-पोषण और निवास आदेश की मांग कर रही हैं।
न्यायमूर्ति पेडनेकर ने कहा, “मजिस्ट्रेट कोर्ट से फैमिली कोर्ट में घरेलू हिंसा की कार्यवाही स्थानांतरित करने से कार्यवाही में और देरी होगी। घरेलू हिंसा अधिनियम और हिंदू विवाह अधिनियम दोनों के तहत भरण-पोषण मांगने पर कोई रोक नहीं है। उसे सिर्फ पिछली और बाद की कार्यवाही में पारित भरण-पोषण आदेश का खुलासा करना होगा ताकि आदेशों के टकराव से बचा जा सके।”
न्यायाधीश ने कहा कि स्थानांतरण आवेदन पर विचार केवल न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पत्नी और बच्चे तत्काल भरण-पोषण और निवास आदेशों से वंचित न हों। पति की याचिका को खारिज करते हुए न्यायाधीश ने कहा, “यदि समान तथ्यों और समान पक्षों के बीच निर्णय का टकराव स्थानांतरण का एकमात्र आधार है, तो हर स्थानांतरण याचिका को अनुमति देना पत्नी का मजिस्ट्रेट के पास जाने का विकल्प निरर्थक बना देगा।”
ये भी पढ़ें: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: तीसरा मोर्चा बनाएंगे अजीत पवार?