भारत सरकार ने आखिरकार जनगणना अपडेट (Census Update) का इंतजार खत्म करते हुए 2025 में जनगणना कराने का निर्णय लिया है। देश में लगभग पंद्रह वर्षों के लंबे अंतराल के बाद Census 2025 से एक नई जनसंख्या रिपोर्ट सामने आएगी, जो न केवल विकास और बदलाव की दिशा को परिभाषित करेगी बल्कि लोकसभा सीटों का परिसीमन 2025 (Lok Sabha Seat Delimitation 2025) की प्रक्रिया भी प्रारंभ करेगी। इस नई जनगणना से न केवल जनसंख्या में बड़े बदलाव सामने आएंगे बल्कि विभिन्न समुदायों में होने वाले परिवर्तनों की विस्तृत जानकारी भी उपलब्ध होगी।
जनगणना 2025: क्या-क्या आएगा सामने?
पिछली बार 2011 में हुई जनगणना के बाद, 2021 में होने वाली जनगणना COVID-19 महामारी के कारण स्थगित कर दी गई थी। अब जब 2025 में Census 2025 की प्रक्रिया शुरू होगी, तब नई जनसंख्या आंकड़े जनगणना अपडेट (Census Update) के माध्यम से विभिन्न पहलुओं पर जानकारी देंगे। इसमें शामिल होगा:
- लिंग अनुपात (Gender Ratio) में बदलाव: विभिन्न राज्यों में पुरुषों और महिलाओं के अनुपात में हुए परिवर्तनों को मापा जाएगा।
- जन्म और मृत्यु दर (Fertility and Mortality Rates): यह देखने में मदद मिलेगी कि भारत में शिशु मृत्यु दर, मातृत्व स्वास्थ्य, और जनसंख्या वृद्धिर दर में क्या परिवर्तन आया है।
- धार्मिक और जातीय समुदायों की गणना: विभिन्न समुदायों की जनसंख्या में बदलाव का आंकलन किया जाएगा।
सरकार के अनुसार, Census 2025 के सवालों में घर की संरचना, शिक्षा, आय, स्वास्थ्य, और परिवार के सदस्यों की जानकारी के साथ-साथ विभिन्न समुदायों और वर्गों के विकास की स्थिति को मापने के लिए प्रश्न शामिल किए जाएंगे। इस जानकारी के आधार पर आगामी विकास योजनाओं और नीतियों को आकार देने में मदद मिलेगी।
लोकसभा सीटों का परिसीमन 2025: क्यों है यह महत्वपूर्ण?
लोकसभा सीटों का परिसीमन 2025 (Lok Sabha Seat Delimitation 2025) भारतीय राजनीति में एक अहम कदम होगा, जिससे लोकसभा के सीटों की संख्या और उनकी सीमा में बड़े बदलाव आ सकते हैं। परिसीमन की प्रक्रिया को Census 2025 के बाद ही संभव माना जा रहा है, और इसे 2028 तक पूरा करने का लक्ष्य है, ताकि 2029 में होने वाले लोकसभा चुनाव में नई सीटों का आधार बन सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि परिसीमन के बाद राज्यों की सीटों की संख्या में बदलाव हो सकता है, जो उत्तर-दक्षिण के बीच एक नया राजनीतिक मुद्दा बन सकता है। विशेष रूप से दक्षिण के राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण में सफलता के कारण उनकी सीटें कम हो सकती हैं जबकि उत्तर के राज्यों में जनसंख्या वृद्धि के कारण उनकी सीटें बढ़ने की संभावना है। इस प्रकार, यह एक संवेदनशील मुद्दा बन सकता है जो भारत के राजनीतिक और क्षेत्रीय समीकरणों पर असर डालेगा।
राजनीतिक महत्व और संभावित प्रभाव
2025 की जनगणना और इसके बाद होने वाले परिसीमन का भारत की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। परिसीमन प्रक्रिया के माध्यम से सीटों का पुनर्गठन उन राज्यों में अधिक हो सकता है, जहां जनसंख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। इससे संसाधनों, प्रतिनिधित्व, और राजनीतिक प्रभाव के मामले में नई बहस का जन्म हो सकता है।
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की कार्यकारी निदेशक पूनम मुतरेजा के अनुसार, “परिसीमन के बाद क्षेत्रीय राजनीति में बड़े बदलाव संभव हैं, खासकर उन राज्यों के लिए जो जनसंख्या नियंत्रण में सफल रहे हैं।” इससे सामाजिक योजनाओं और सरकारी नीतियों के कार्यान्वयन में भी नए लक्ष्य तय हो सकते हैं।
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