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टेरर टैक्स मांगने वाला चंबल का डकैत गुड्डा गुर्जर: अदालत ने सुनाई उम्रकैद

टेरर टैक्स मांगने वाला चंबल का डकैत गुड्डा गुर्जर: अदालत ने सुनाई उम्रकैद

चंबल घाटी के कुख्यात डकैत गुड्डा गुर्जर की कहानी कई दशकों से आतंक और अपराध से जुड़ी हुई है। हाल ही में, मुरैना की एक अदालत ने उसे हत्या, लूट, डकैती, और टेरर टैक्स जैसी कई गंभीर अपराधों के चलते उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह कहानी हमें याद दिलाती है कि किस तरह अपराधियों ने चंबल के इलाके में दशकों तक लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। इस लेख में, हम गुड्डा गुर्जर के अपराधी बनने की कहानी, उसके द्वारा किए गए अपराध और कैसे वह अंततः कानून की गिरफ्त में आया, इन सभी पहलुओं को विस्तार से जानेंगे।


गुड्डा गुर्जर: एक डरावनी शुरुआत

गुड्डा गुर्जर, जो ग्वालियर-चंबल इलाके और राजस्थान में टेरर टैक्स और डकैती के लिए कुख्यात था, एक साधारण परिवार से आता है। मुरैना जिले के लोहागढ़ गांव का रहने वाला गुड्डा, बचपन से ही अपराध की दुनिया में कदम रख चुका था। वह अपने भाइयों और साथियों के साथ मिलकर डकैतों के गिरोह में शामिल हो गया। कुछ ही समय में, उसने अपने अपराधों के चलते इलाके में खौफ पैदा कर दिया।

गुड्डा और उसके साथियों ने चंबल के इलाके में लोगों से जबरन पैसा वसूलना, जिसे स्थानीय तौर पर टेरर टैक्स कहा जाता है, शुरू कर दिया। वह निर्दोष लोगों को धमकी देता था और यदि कोई उसका विरोध करता तो उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ता। उसकी इस हरकत से लोगों का जीना मुहाल हो गया था, और गांवों में उसका नाम सुनकर लोग सहम जाते थे।


हत्या और टेरर टैक्स का मामला

गुड्डा गुर्जर के खिलाफ जो सबसे गंभीर मामला दर्ज हुआ, वह नूराबाद थाना इलाके में घटित हुआ। 2017 में, गुड्डा और उसके साथियों ने एक युवक जितेंद्र गुर्जर की हत्या कर दी। जितेंद्र पर गुड्डा को शक था कि उसने उसके साथी भारत गुर्जर को पुलिस के हाथों पकड़वाया था। इस शक के चलते गुड्डा ने अपने साथियों के साथ मिलकर जितेंद्र को घेर लिया और गोली मार दी। जितेंद्र की इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई।

यह मामला सिर्फ हत्या तक सीमित नहीं था, बल्कि इसके पीछे का मकसद टेरर टैक्स वसूलने का भी था। गुड्डा और उसका गिरोह क्षेत्र के व्यापारियों और किसानों से पैसे वसूलने के लिए हिंसा का सहारा लेते थे। यह एक तरह का संगठित अपराध था, जहां डर के बल पर धन इकट्ठा किया जाता था। इस अपराध ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी थी।


गुड्डा गुर्जर की गिरफ्तारी: एक छोटा एनकाउंटर

मुरैना पुलिस ने जितेंद्र गुर्जर की हत्या के बाद गुड्डा और उसके साथियों की तलाश शुरू कर दी। गुड्डा लंबे समय तक पुलिस की गिरफ्त से दूर रहा और फरार हो गया। लेकिन जब उसके अन्य साथी पकड़े गए और उन्हें सजा हुई, तो पुलिस का दबाव बढ़ता गया। आखिरकार, ग्वालियर पुलिस ने एक शॉर्ट एनकाउंटर के बाद गुड्डा गुर्जर को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद, मुरैना कोर्ट में उसकी सुनवाई हुई और उसे उम्रकैद की सजा सुना दी गई।

गुड्डा गुर्जर की गिरफ्तारी पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता थी। यह गिरफ्तारी चंबल के इलाके में अपराधियों के लिए एक चेतावनी भी थी कि कानून से बच पाना नामुमकिन है।


कोर्ट का फैसला: गुड्डा गुर्जर को उम्रकैद की सजा

गुड्डा गुर्जर की गिरफ्तारी के बाद, मुरैना की अदालत ने उसे हत्या और टेरर टैक्स के मामलों में दोषी पाया। अदालत ने गुड्डा को उम्रकैद की सजा सुनाई और ₹500 का जुर्माना भी लगाया। इस सजा के साथ ही गुड्डा के अपराधी जीवन का अंत हुआ, और वह जेल की सलाखों के पीछे चला गया। इस सजा ने न केवल न्याय को कायम किया बल्कि चंबल के इलाके में आतंक का अंत भी किया।

गुड्डा गुर्जर की कहानी: एक सबक

गुड्डा गुर्जर की कहानी यह बताती है कि अपराध का रास्ता कितना घातक हो सकता है। उसने अपने जीवन के शुरुआती सालों में अपराध की दुनिया में कदम रखा और धीरे-धीरे सबसे खतरनाक डकैत बन गया। लेकिन अंततः उसे कानून के शिकंजे में आना पड़ा और उसकी जिंदगी जेल की चार दीवारों के बीच खत्म हो गई।

इस कहानी से यह भी साबित होता है कि चाहे अपराध कितना ही बड़ा क्यों न हो, कानून से बचना असंभव है। गुड्डा गुर्जर के आतंक का अंत एक सबक है कि अपराध और हिंसा से कभी कुछ हासिल नहीं होता। जो लोग अपराध के रास्ते पर चलते हैं, उनका अंत भी निश्चित रूप से जेल में होता है।

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