Chhagan Bhujbal News: महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों हलचलें तेज़ हैं। खासतौर पर छगन भुजबल को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। सावित्रीबाई फुले की जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में छगन भुजबल, जो उपमुख्यमंत्री अजित पवार (Ajit Pawar) के गुट से जुड़े हैं, शरद पवार (Sharad Pawar) के साथ मंच साझा करने वाले हैं। इस घटना को लेकर राजनीतिक गलियारों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या छगन भुजबल कोई बड़ा सियासी फैसला लेने वाले हैं?
छगन भुजबल और अजित पवार के बीच अनबन की वजह
छगन भुजबल पिछले कुछ समय से उपमुख्यमंत्री अजित पवार के गुट से असंतुष्ट नजर आ रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, फडणवीस मंत्रिमंडल में उन्हें जगह न मिलना उनकी नाराजगी का मुख्य कारण बताया जा रहा है। जब 15 दिसंबर को देवेंद्र फडणवीस सरकार ने शपथ ली, तब से ही भुजबल ने कई बार सार्वजनिक रूप से यह बात कही कि फडणवीस उन्हें मंत्री बनाना चाहते थे, लेकिन अजित पवार की वजह से ऐसा नहीं हो सका।
यह नाराजगी तब और बढ़ गई जब महाराष्ट्र में एनसीपी के विभाजन के बाद अजित पवार को भाजपा और शिवसेना के साथ गठबंधन करना पड़ा। भुजबल का यह कहना कि उनकी किसी से नाराजगी नहीं है, केवल सियासी बयान माना जा रहा है।
सावित्रीबाई फुले जयंती पर कार्यक्रम
शुक्रवार, 3 जनवरी 2025 को पुणे के चाकन में महान समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले की जयंती के अवसर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र की राजनीति (Maharashtra Politics) के बड़े चेहरे जैसे शरद पवार और छगन भुजबल शामिल होंगे। इस कार्यक्रम में फुले की प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा।
कार्यक्रम में शरद पवार और छगन भुजबल के एक मंच पर आने को लेकर कई राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं। इसे शरद पवार के गुट के साथ भुजबल के जुड़ने का संकेत माना जा रहा है। हालांकि, भुजबल ने इन अटकलों को खारिज कर दिया है।
एनसीपी का विभाजन और उसकी सियासी स्थिति
साल 2023 में एनसीपी (NCP) का विभाजन महाराष्ट्र की राजनीति की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक था। अजित पवार ने एकनाथ शिंदे सरकार के साथ गठबंधन करते हुए अपने गुट को ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न दिलाया। वहीं, शरद पवार का गुट एनसीपी (एसपी) के नाम से जाना जाने लगा।
छगन भुजबल जैसे वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी अजित पवार गुट के लिए सियासी तौर पर नुकसानदेह साबित हो सकती है। वहीं, शरद पवार की अगुवाई में भुजबल के शामिल होने की अटकलें महाराष्ट्र में विपक्ष को मजबूती प्रदान कर सकती हैं।
आगामी राजनीतिक समीकरण
महाराष्ट्र में 2024 विधानसभा चुनावों में महायुति (भाजपा-शिवसेना-अजित पवार गुट) को जबरदस्त जीत मिली। लेकिन, इस गठबंधन के अंदरूनी मतभेद अब खुलकर सामने आने लगे हैं। छगन भुजबल की नाराजगी अगर शरद पवार के साथ मिलकर किसी नए राजनीतिक समीकरण का हिस्सा बनती है, तो यह महायुति के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि सावित्रीबाई फुले जयंती का यह कार्यक्रम न केवल एक समाजिक आयोजन है, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरणों का आधार भी बन सकता है।
छगन भुजबल का शरद पवार के साथ मंच साझा करना एक सियासी संकेत माना जा रहा है। हालांकि, उन्होंने नाराजगी से इंकार किया है, लेकिन उनकी हालिया गतिविधियों और बयानों से ऐसा प्रतीत होता है कि वे जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में यह कार्यक्रम क्या बदलाव लाएगा, यह तो समय ही बताएगा।