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Court Orders School Rule Check: स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर हाई कोर्ट सख्त, महाराष्ट्र सरकार को स्कूल सुरक्षा नियमों की निगरानी का आदेश

Court Orders School Rule Check: स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा पर हाई कोर्ट सख्त, महाराष्ट्र सरकार को स्कूल सुरक्षा नियमों की निगरानी का आदेश

Court Orders School Rule Check: मुंबई की सड़कों से लेकर स्कूलों तक, बच्चों की सुरक्षा आज हर माता-पिता और समाज के लिए सबसे बड़ा सवाल है। पिछले साल बदलापुर में दो छोटी बच्चियों के साथ हुई यौन उत्पीड़न की दिल दहलाने वाली घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस घटना के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया और बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए। मंगलवार को, कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को एक बार फिर स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा से जुड़े सरकारी आदेश (जीआर) को लागू करने की निगरानी करने का निर्देश दिया।

बदलापुर की घटना ने न केवल समाज को चौंकाया, बल्कि स्कूलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने पिछले साल स्वतः संज्ञान लिया और महाराष्ट्र सरकार को बच्चों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए। इसके जवाब में सरकार ने एक सरकारी आदेश (जीआर) जारी किया, जिसमें स्कूलों में सुरक्षा के लिए कई ज़रूरी उपाय शामिल किए गए। लेकिन सवाल यह था कि क्या ये नियम सिर्फ़ कागज़ों तक सीमित रह गए, या इन्हें ज़मीन पर लागू भी किया जा रहा है?

मंगलवार को, जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और नीला गोखले की खंडपीठ ने सरकार को सख्त निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि सरकार को अपने अधिकारियों को स्कूलों में भेजकर यह जाँच करनी होगी कि बच्चों की सुरक्षा (Child Safety) के लिए बनाए गए नियमों का पालन हो रहा है या नहीं। कोर्ट ने यह भी माँगा कि सभी स्कूलों से जीआर के पालन की जानकारी एकत्र की जाए और स्कूल-वार अनुपालन की सूची पेश की जाए। यह कदम सुनिश्चित करता है कि नियम सिर्फ़ बनाए ही नहीं गए, बल्कि उनकी सही ढंग से निगरानी भी हो रही है।

इस सरकारी आदेश में कई महत्वपूर्ण नियम शामिल हैं। स्कूल परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाना अनिवार्य किया गया है, ताकि हर गतिविधि पर नज़र रखी जा सके। इसके अलावा, स्कूल कर्मचारियों के चरित्र सत्यापन को भी ज़रूरी बनाया गया है, जिससे बच्चों के आसपास काम करने वाले लोग पूरी तरह भरोसेमंद हों। स्कूलों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि बच्चों के परिवहन की व्यवस्था सुरक्षित हो। बच्चों को अच्छे और बुरे स्पर्श के बीच अंतर समझाने के लिए जागरूकता सत्र आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं। साइबरबुलिंग जैसे आधुनिक खतरों से निपटने के लिए भी जागरूकता बढ़ाने को कहा गया है। साथ ही, स्कूलों में टोल-फ्री चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर ‘1098’ को प्रमुखता से प्रदर्शित करना अनिवार्य है, ताकि ज़रूरत पड़ने पर बच्चे तुरंत मदद माँग सकें।

कोर्ट में इस मामले की पैरवी कर रही अमीकस क्यूरी (कोर्ट की मित्र) रेबेका गोंसाल्वेस ने बताया कि यह जीआर अभी तक शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं था। यह केवल महाराष्ट्र सरकार की वेबसाइट पर मौजूद था, जिससे स्कूलों और अभिभावकों को इसे समझने में दिक्कत हो रही थी। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि इसे शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाए। कोर्ट ने तुरंत इसकी माँग मान ली और सरकार को निर्देश दिया कि जीआर को शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाए। साथ ही, इसे पेरेंट-टीचर एसोसिएशन (पीटीए) तक भी पहुँचाने के लिए कहा गया, ताकि अभिभावक भी इन नियमों से अवगत हों।

अतिरिक्त लोक अभियोजक प्राजक्ता शिंदे ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि जीआर को सभी स्कूलों में भेजा गया है और जल्द ही इसे शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर भी अपलोड कर दिया जाएगा। कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि यह आदेश सिर्फ़ स्कूलों तक सीमित न रहे। सरकार को निर्देश दिए गए कि बदलापुर स्कूल सुरक्षा आदेश (Badlapur School Safety GR) को आंगनवाड़ी, आश्रम शालाओं और किशोर बोर्ड जैसे अन्य बाल-केंद्रित संस्थानों तक भी लागू किया जाए। इसके लिए प्रत्येक संस्थान की ज़रूरतों के हिसाब से नियमों में बदलाव करने को कहा गया।

यह जीआर अगस्त 2024 में बदलापुर घटना के बाद गठित एक राज्य समिति की सिफारिशों पर आधारित है। बाद में कोर्ट ने इस समिति का विस्तार किया और इसमें सेवानिवृत्त जजों को शामिल किया, ताकि सुरक्षा नियमों की समीक्षा की जा सके और उनमें सुधार के सुझाव दिए जा सकें। इस तरह, कोर्ट और सरकार दोनों मिलकर यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि बच्चे हर जगह सुरक्षित रहें।

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