CAA के तहत नागरिकता की शुरुआत: केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल, हरियाणा और उत्तराखंड में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत नागरिकता प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह घोषणा उन लोगों के लिए एक नई उम्मीद की किरण है जो धार्मिक उत्पीड़न के कारण अपने मूल देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं।
CAA के प्रावधानों के अनुसार, 31 दिसंबर 2014 तक भारत में आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जाएगी। गृह मंत्रालय के मुताबिक, 15 मई को नई दिल्ली में 14 आवेदकों को पहला सेट ऑफ सिटिजनशिप सर्टिफिकेट प्रदान किया गया था।
मार्च 2024 में नागरिकता (संशोधन) नियमों को अधिसूचित करने के दो महीने बाद, उपरोक्त तीन राज्यों में इस प्रक्रिया की शुरुआत की गई है। इससे वर्षों से भारत में रह रहे और नागरिकता की प्रतीक्षा कर रहे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। नागरिकता प्राप्त होने पर उन्हें भारतीय नागरिक के तौर पर सभी अधिकार और सुविधाएं हासिल होंगी।
इस प्रक्रिया में जिला स्तरीय समिति द्वारा आवेदन पत्रों की जांच की जाएगी और राज्य स्तरीय सशक्त समिति द्वारा नागरिकता प्रदान की जाएगी। यह प्रक्रिया धार्मिक उत्पीड़न से प्रभावित और अपने देश छोड़ने को मजबूर लोगों के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है।
भारत सरकार की यह पहल उन लोगों के लिए आशा की किरण है जिन्होंने धार्मिक कारणों से अपने मूल देशों को छोड़ना पड़ा और भारत में शरण ली। नागरिकता मिलने से उन्हें सामाजिक-आर्थिक रूप से समावेशित होने और अपना जीवन पुनर्गठित करने में मदद मिलेगी।