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CJI Chandrachud: न्याय की देवी की आंखों से क्यों हटी पट्टी? सीजेआई ने बताई ये बड़ी वजह

CJI Chandrachud: न्याय की देवी की आंखों से क्यों हटी पट्टी? सीजेआई ने बताई ये बड़ी वजह
CJI Chandrachud: भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने हाल ही में न्यायपालिका में भाषा के उपयोग पर महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं। उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं के प्रति सम्मानजनक भाषा के इस्तेमाल पर जोर दिया है।

सीजेआई चंद्रचूड़ का सख्त निर्देश: अदालतों में महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक भाषा नहीं

सीजेआई चंद्रचूड़ ने गोवा में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि अदालतों में महिलाओं के प्रति किसी भी तरह की अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया कि कई महिला न्यायिक अधिकारियों ने शिकायत की है कि कुछ प्रशासनिक कर्मचारी उनके साथ अनुचित भाषा का प्रयोग करते हैं। यह बात चिंता का विषय है और इसे रोकने की जरूरत है।

न्यायपालिका में भाषा (Judiciary language) का महत्व समझाते हुए सीजेआई ने कहा कि हमें ऐसी भाषा का चयन करना चाहिए जो न सिर्फ सही हो, बल्कि सम्मानजनक और सबको शामिल करने वाली भी हो। उन्होंने कहा कि अदालतों में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा से किसी के लिंग, जाति या आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए।

न्याय तक पहुंच बनाना सबके लिए आसान

सीजेआई चंद्रचूड़ ने न्याय तक सबकी पहुंच बनाने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें ऐसी बाधाएं दूर करनी होंगी जो लोगों को न्याय पाने से रोकती हैं। इसके लिए उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए:

न्यायिक फैसलों और आदेशों को सभी क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि हर कोई उन्हें समझ सके।

अदालतों में चर्चा के लिए एक ‘जेंडर हैंडबुक’ बनाई गई है, जिसका इस्तेमाल करके लिंग के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सकती है।

न्यायाधीशों और वकीलों को ऐसी भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए जो सबको समझ आए और किसी को अपमानित न करे।

महिलाओं के प्रति सम्मानजनक व्यवहार (Respectful treatment of women) सुनिश्चित करने के लिए सीजेआई ने कहा कि हमें अपनी सोच और व्यवहार में बदलाव लाना होगा। उन्होंने कहा कि न्याय की देवी की आंखों पर बंधी पट्टी अब हटा दी गई है, जिसका मतलब है कि कानून अंधा नहीं है। कानून सबको एक नजर से देखता है और सामाजिक हकीकतों को भी समझता है।

न्यायपालिका में सुधार की जरूरत

सीजेआई चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका में सुधार की जरूरत पर भी बात की। उन्होंने कहा कि हमें अपने काम करने के तरीके में बदलाव लाना होगा, ताकि न्याय जल्दी और आसानी से मिल सके। उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए:

अदालतों में नई तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाना चाहिए, जिससे काम तेजी से हो सके।

न्यायाधीशों और वकीलों को नए कानूनों और नियमों की जानकारी देने के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने चाहिए।

अदालतों में काम करने वाले सभी लोगों को यह समझना होगा कि उनका काम लोगों की मदद करना है, न कि उन्हें परेशान करना।

सीजेआई चंद्रचूड़ के इन विचारों से साफ है कि न्यायपालिका में बदलाव की जरूरत है। हमें ऐसा माहौल बनाना होगा जहां हर किसी को सम्मान मिले और न्याय पाने में कोई मुश्किल न हो। इसके लिए सबको मिलकर काम करना होगा और अपनी सोच में बदलाव लाना होगा।

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