जम्मू-कश्मीर एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की चपेट में है। डोडा और किश्तवाड़ जिलों में बादल फटने की घटनाओं ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। भारी बारिश और तेज बहाव के कारण कई जगह सड़कें टूट गईं, घरों और स्वास्थ्य केंद्रों को नुकसान पहुंचा और कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
डोडा में बादल फटा, चार की मौत
डोडा जिले में बादल फटने से अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। पानी का बहाव इतना तेज था कि सड़कों के साथ-साथ कई जगहों पर मकानों को भी नुकसान हुआ। हालात को देखते हुए प्रशासन ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया है।
किश्तवाड़ और चरवा इलाके में अलर्ट
किश्तवाड़ में भी बादल फटने की खबर आई है। वहीं, भलेसा के चरवा इलाके में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। राहत की बात ये है कि यहां किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। प्रशासन लगातार हालात की निगरानी कर रहा है।
एनएच-244 पूरी तरह बह गया
डिप्टी कमिश्नर हरविंदर सिंह के मुताबिक, पिछले तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश ने स्थिति को गंभीर बना दिया है। खासकर चेनाब नदी से जुड़े इलाकों में खतरा ज्यादा है। राष्ट्रीय राजमार्ग-244 (NH-244) पानी के तेज बहाव में पूरी तरह बह गया है। इसके अलावा एक निजी स्वास्थ्य केंद्र को भी भारी नुकसान हुआ है।
ऊधमपुर में भी बादल फटने की घटना
आपदा का असर ऊधमपुर जिले में भी देखने को मिला। बसंतगढ़ के ललोन गला क्षेत्र में बादल फटने के कारण बग्गन नाले में बाढ़ आ गई। इस दौरान मवेशी चराने गए आठ लोग फंस गए। SHO बसंतगढ़ राबिन चलोत्रा ने बताया कि सभी लोग नाले के बीच सुरक्षित जगह पर फंसे हुए हैं और पास की पुलिस चौकी से बचाव दल मौके पर भेजा गया है।
केंद्र सरकार की नज़र हालात पर
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि हालात की लगातार निगरानी की जा रही है और उनके कार्यालय को हर पल अपडेट मिल रहा है। राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है।
डोडा और किश्तवाड़ में बादल फटने की ये घटना फिर साबित करती है कि जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित बारिश कितनी बड़ी चुनौती बन चुके हैं। फिलहाल सबसे बड़ी प्राथमिकता लोगों की जान बचाना और सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना है।
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