फ़िल्म सिटी विवाद: आदिवासी समुदायों के पास अक्सर अपनी ज़मीन से संबंधित कोई कागज़ात नहीं होते, जिसके कारण उनकी ज़मीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश की जाती है। ऐसे मामलों में कानूनी लड़ाई इन समुदायों के लिए बहुत ज़रूरी हो जाती है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने आदिवासियों की ज़मीन पर अवैध कब्ज़े के एक मामले में पुलिस पर सवाल उठाए हैं। देवीचा पाडा गाँव के रहने वाले भगत नाम के एक आदिवासी किसान ने फ़िल्म सिटी के डायरेक्टर पर उनके घर को तोड़ने और उनकी फसल बर्बाद करने का आरोप लगाया है। कोर्ट ने दिंडोशी डिवीज़न के पुलिस उपायुक्त दत्तात्रेय धोले को आदेश दिया है कि वे दो हफ्तों के भीतर अपनी कार्यवाही की रिपोर्ट दें।
भगत के परिवार कई पीढ़ियों से फ़िल्म सिटी क्षेत्र के देवीचा पाडा गाँव में रह रहे हैं और खेती-बाड़ी करते हैं। भगत 1962 से फ़िल्म सिटी में चौकीदार की नौकरी भी करते हैं। उनका आरोप है कि फ़िल्म सिटी के अधिकारी धीरे-धीरे उनकी ज़मीन पर कब्ज़ा करते जा रहे हैं। कोर्ट के सामने भगत के वकील ने दलील दी कि उन्होंने आरे पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन किसी के खिलाफ FIR नहीं लिखी गई।
फ़िल्म सिटी के वकील ने कहा कि वह ज़मीन सरकारी है। कोर्ट को पहले यह तय करना चाहिए कि कहाँ तक सरकारी ज़मीन है। इस बारे में जांच होनी चाहिए। सरकारी वकील ने बताया कि आरे पुलिस भगत की शिकायत की जांच कर रही है।
इस बारे में कोर्ट ने कहा कि पहले पुलिस FIR लिख कर फिर जांच करे। कोर्ट ने पुलिस अफसरों को इस संबंध में दो हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है।
यह मामला आदिवासी समुदायों के संघर्ष को सामने लाता है। अक्सर, प्रभावशाली संस्थाएं या व्यक्ति इनकी ज़मीन हड़पने की कोशिश करते हैं।