महाराष्ट्रमुंबई

स्कूल की मनमानी पर हाई कोर्ट का फैसला – किताबें कहां से खरीदें, ये आप तय नहीं कर सकते

स्कूल की मनमानी पर हाई कोर्ट का फैसला - किताबें कहां से खरीदें, ये आप तय नहीं कर सकते

ज़रूरी किताबें और स्कूल का सामान एक खास दुकान से ही खरीदने को कहना – कई स्कूल ये करते हैं। लेकिन क्या स्कूल ऐसा कर सकते हैं? क्या माता-पिता को यह अधिकार है कि वे आपत्ति जता सकें? मुंबई हाई कोर्ट के एक ताज़ा फैसले ने इस बारे में एक अहम बात कही है।

नवी मुंबई के एक स्कूल ने अपने बच्चों के लिए किताबें और दूसरा सामान एक तय की हुई दुकान से ही खरीदने को कहा। साथ ही, मार्च 2024 में एक सर्कुलर जारी करके साफ कर दिया कि बच्चे NCERT की किताबें भी इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।

स्कूल के इस फैसले के खिलाफ एक अभिभावक, प्रमोद सीताराम पाटिल, ने कोर्ट में याचिका दायर कर दी। उनका कहना था कि स्कूल अपने नियम से बच्चों के साथ भेदभाव कर रहा है क्योंकि तय किये गए दुकानदार किताबें काफी महंगे दाम पर बेचते हैं। उनका यह भी कहना था कि CBSE ने साफ कहा है कि स्कूल बच्चों को सेकंड हैंड किताबें इस्तेमाल करने से भी नहीं रोक सकते। पाटिल इस मामले में पेरेंट-टीचर एसोसिएशन (PTA) के सदस्य भी थे।

हाई कोर्ट ने पाटिल की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि क्योंकि पाटिल सिर्फ अपने बच्चे का केस लेकर आए हैं, और दूसरे माता-पिता या स्कूल ट्रस्ट इस केस में शामिल नहीं हैं, इसलिए कोर्ट कोई फैसला नहीं सुना सकता है। कोर्ट का यह भी कहना था कि CBSE के जिस सर्कुलर का हवाला याचिका में दिया गया था, उसे दिल्ली हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था।

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