भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने शानदार जीत हासिल की है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को हराकर देश के 15वें उपराष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त किया।
चुनाव परिणामों की घोषणा निर्वाचन अधिकारी पीसी मोदी ने की। उनके अनुसार, कुल 767 सांसदों ने मतदान किया, जिनमें से 752 वोट वैध पाए गए। राधाकृष्णन को 452 मत मिले, जबकि बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट हासिल हुए। यानी ये जीत अपेक्षित थी क्योंकि एनडीए का संख्या बल पहले से ही मजबूत था।
पिछली बार क्यों खाली हुई उपराष्ट्रपति की कुर्सी?
जुलाई 2025 में तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। धनखड़ ने अगस्त 2022 में हुए चुनावों में 73% वोट पाकर भारी जीत दर्ज की थी। उनके इस्तीफ़े के बाद ये चुनाव आवश्यक हो गया।
सीपी राधाकृष्णन: राजनीति से लेकर संगठन तक की लंबी यात्रा
20 अक्टूबर 1957 को तमिलनाडु के तिरुप्पुर में जन्मे राधाकृष्णन का सफर छात्र जीवन से ही संघ और राजनीति से जुड़ गया था। बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे आरएसएस से जुड़े और 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति का हिस्सा बने।
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1996 में वे तमिलनाडु भाजपा के सचिव बने और उसके बाद कोयंबटूर से लोकसभा सांसद चुने गए।
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संसद में रहते हुए वे कपड़ा मंत्रालय की स्थायी समिति के अध्यक्ष रहे और स्टॉक एक्सचेंज घोटाले की जांच समिति के सदस्य भी।
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2004 में वे संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने वाले भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बने और ताइवान जाने वाले पहले संसदीय दल में भी शामिल रहे।
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2016 से 2020 तक वे कॉयर बोर्ड के अध्यक्ष रहे और उनके कार्यकाल में नारियल रेशा का निर्यात रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचा।
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2020 से 2022 तक उन्होंने केरल भाजपा प्रभारी के रूप में भी काम किया।
उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?
उपराष्ट्रपति का चुनाव सीधे जनता द्वारा नहीं किया जाता। इसके लिए लोकसभा और राज्यसभा के सांसद मतदान करते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में विधायक भी शामिल होते हैं, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ सांसद ही मतदान का अधिकार रखते हैं।
दिलचस्प बात ये है कि दोनों सदनों के नामित (nominated) सदस्य राष्ट्रपति चुनाव में वोट नहीं डाल सकते, मगर उपराष्ट्रपति चुनाव में उनकी भागीदारी मान्य होती है।
किसी भी उम्मीदवार के लिए ज़रूरी है कि:
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वो भारत का नागरिक हो।
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उम्र कम से कम 35 वर्ष हो।
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राज्यसभा सदस्य चुने जाने की योग्यता रखता हो।
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और किसी लाभ के पद पर न हो।
चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह संवैधानिक नियमों के तहत होती है और निर्वाचन अधिकारी की देखरेख में मतगणना के बाद परिणाम घोषित किए जाते हैं।
नतीजे का महत्व
राधाकृष्णन की जीत केवल एनडीए की राजनीतिक ताक़त का संकेत नहीं है, बल्कि ये भी दिखाती है कि संगठनात्मक कार्यों से लेकर प्रशासनिक ज़िम्मेदारियों तक उनकी लम्बी यात्रा ने उन्हें इस ऊंचे constitutional पद के लिए पूरी तरह तैयार कर दिया है।