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Crypto-Christianity Surge in Maharashtra: महाराष्ट्र के गाँवों में गुप्त धर्मांतरण की घटनाएँ बढ़ीं, सांप्रदायिक तनाव ने पकड़ा जोर

Crypto-Christianity Surge in Maharashtra: महाराष्ट्र के गाँवों में गुप्त धर्मांतरण की घटनाएँ बढ़ीं, सांप्रदायिक तनाव ने पकड़ा जोर

Crypto-Christianity Surge in Maharashtra: जून से अगस्त 2025 तक महाराष्ट्र के ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में क्रिप्टो-क्रिश्चियनिटी महाराष्ट्र के मामले तेजी से बढ़े हैं। कई लोग जातिगत दबाव और सामाजिक मुश्किलों से बचने के लिए चुपके से ईसाई धर्म अपना रहे हैं, लेकिन बाहर से हिंदू पहचान बनाए रखते हैं। खुफिया एजेंसियों ने बताया कि गरीब परिवार, जो दहेज, शादी के खर्चे और इलाज के बोझ से दबे हैं, ईसाई मिशनरी प्रभाव के संपर्क में आ रहे हैं और गुप्त धर्मांतरण भारत की ओर बढ़ रहे हैं। इनमें से कुछ मामलों में पैसे का लालच, धोखा और उत्पीड़न के आरोप भी लगे हैं, जिससे सांप्रदायिक तनाव ग्रामीण इलाकों में बढ़ रहा है।

यह दोहरी पहचान जांच को जटिल बना रही है, क्योंकि स्वेच्छा से धर्म चुनना और छिपकर आस्था अपनाना, दोनों में फर्क करना मुश्किल हो गया है। सोशल मीडिया पर गलत खबरें और राजनीतिक बयान इन गुप्त प्रथाओं को धोखा बताकर माहौल खराब कर रहे हैं। खासकर छोटे ईसाई समुदायों वाले जिलों में प्रार्थना सभाओं पर शक बढ़ रहा है। परिवारों को धमकाने, चर्चों पर तोड़फोड़ और पादरियों पर हमले की खबरें सामने आ रही हैं। ये झड़पें अभी छोटे स्तर पर हैं, लेकिन अधिकारी चेतावनी दे रहे हैं कि यह बड़ा सांप्रदायिक टकराव बन सकता है।

सांगली के कुपवाड में रुतुजा सुकुमार राजगे की दुखद कहानी इस समस्या को सामने लाती है। 28 साल की रुतुजा, जो सात महीने की गर्भवती थीं, जून 2025 में मृत पाई गईं। उनके पिता ने ससुराल वालों पर दहेज मांगने, मारपीट और ईसाई धर्म अपनाने का दबाव डालने का आरोप लगाया, जिसमें चर्च जाना, बाइबल पढ़ना और प्रार्थना करना शामिल था। पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने और मारपीट का केस दर्ज किया और रुतुजा के पति और ससुराल वालों को गिरफ्तार किया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुलिस कार्रवाई की जांच और जमानत शर्तों की समीक्षा का वादा किया। यह मामला जबरन धर्मांतरण मामले और घरेलू हिंसा का मिश्रण दिखाता है।

इस घटना ने राजनीतिक विवाद भी खड़ा किया। बीजेपी विधायक गोपिचंद पडालकर ने एक ईसाई मिशनरी की हत्या के लिए 11 लाख रुपये का इनाम घोषित किया, जिसके बाद 11 जुलाई को आजाद मैदान में ईसाई समुदाय ने बड़ा विरोध प्रदर्शन किया। सांगली के बाहर, सोलापुर में जुलाई में एक चर्च पर हिंदू कट्टरपंथियों ने हमला किया। उन्होंने पादरी पर कम्युनियन में खून परोसने का आरोप लगाया, जबकि पादरी ने कहा कि वह अंगूर का रस था। हमलावरों ने इसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर फैलाया, जिसमें झूठा दावा किया गया कि पादरी ने 20-25 महिलाओं को नशीली शराब पिलाकर धर्मांतरण के लिए लालच दिया।

स्थानीय ईसाई समूहों ने इन आरोपों को खारिज किया। ओपन डोर्स संगठन के एक सदस्य ने कहा कि कट्टरपंथी झूठे दावे गढ़कर ईसाइयों के खिलाफ नफरत फैलाते हैं। वे ईसाइयों और मुसलमानों को बाहरी बताकर हिंसा करते हैं। 17 जुलाई को एक गाँव में 56 ईसाइयों पर भीड़ ने हमला किया, जिसमें संपत्ति नष्ट हुई और लोग घायल हुए। 20 जुलाई को मालेगांव के बेथेल प्रार्थना भवन में 200 राष्ट्रवादियों ने प्रार्थना सभा रोकी और धर्मांतरण का आरोप लगाया।

29 जुलाई को पुणे के पिंपरी-चिंचवाड में पुलिस ने एक 41 साल के अमेरिकी नागरिक और उसके स्थानीय साथी को गिरफ्तार किया। उन पर आरोप था कि वे शांति और समृद्धि का लालच देकर जबरन धर्मांतरण की कोशिश कर रहे थे। शिकायतकर्ता के मुताबिक, उन्होंने अन्य देवताओं को झूठा बताया और पैसे का वादा किया। पुलिस ने दुश्मनी भड़काने और गैरकानूनी लालच के तहत केस दर्ज किया। अगस्त तक ग्रामीण इलाकों में ऐसे कई मामले जांच में हैं।

इन घटनाओं ने सरकार का ध्यान खींचा है। बॉम्बे हाईकोर्ट में एक याचिका दायर हुई, जिसमें पादरियों पर इनाम जैसे भड़काऊ बयानों का जिक्र है। मंत्री सख्त एंटी-कन्वर्जन कानून लाने और आदिवासी धार्मिक बदलाव की जांच की बात कर रहे हैं। धार्मिक संगठन इसे स्वतंत्रता के खिलाफ बता रहे हैं। महाराष्ट्र में अभी कोई विशेष एंटी-कन्वर्जन कानून नहीं है। पुलिस सामान्य कानूनों के तहत कार्रवाई कर रही है, लेकिन चुनौती है कि सामाजिक शांति बनाए रखते हुए कानून का पालन कैसे हो।

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