Currency Exchange Scam: मुंबई, वह शहर जहां सपने सच होते हैं, लेकिन कभी-कभी लालच और भरोसे की आड़ में ठगी की कहानियां भी सामने आती हैं। 30 अप्रैल 2025 को, नकली पुलिस (Fake Police) बनकर ठगों ने पुणे के दो व्यापारियों को मुद्रा विनिमय घोटाला (Currency Exchange Scam) में फंसाकर 25 लाख रुपये की चपत लगा दी। यह घटना मुंबई के चेंबूर इलाके में हुई, जहां ठगों ने आधे दाम पर 50 लाख रुपये की नकदी देने का लालच देकर व्यापारियों को जाल में फंसाया। इस मामले में नेहरू नगर पुलिस स्टेशन में प्रवीण मुनगसे, दशरथ लोहोटे, मुकुंद झा और उनके साथियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। आइए, इस चौंकाने वाली घटना को करीब से समझते हैं और जानते हैं कि कैसे यह ठगी अंजाम दी गई।
संतोष खांबे, जो पुणे में 43 साल के एक जमीन डीलर हैं, और उनके साथी अमित करांडे की कहानी तब शुरू हुई, जब प्रवीण मुनगसे नामक एक व्यक्ति ने उनसे संपर्क किया। मुनगसे ने एक ऐसा ऑफर दिया, जो सुनने में किसी सपने जैसा था—25 लाख रुपये देकर 50 लाख रुपये की असली नकदी हासिल करने का मौका। यह प्रस्ताव इतना आकर्षक था कि व्यापारियों ने इस पर विचार करना शुरू कर दिया। कई दिनों की बातचीत और सोच-विचार के बाद, उन्होंने इस सौदे को स्वीकार कर लिया।
30 अप्रैल को, दोनों व्यापारी अपनी टोयोटा फॉर्च्यूनर गाड़ी में 25 लाख रुपये की नकदी लेकर पुणे से मुंबई के लिए निकले। इस राशि में संतोष के 16.5 लाख और अमित के 8.5 लाख रुपये शामिल थे। चेंबूर पहुंचने पर, उनकी मुलाकात मुनगसे से हुई, जिन्होंने अपने साथी दशरथ लोहोटे को उनके सामने पेश किया। दोनों ने व्यापारियों को भरोसा दिलाया कि सौदा पूरी तरह सुरक्षित है और जल्द ही उन्हें वादा की गई नकदी मिल जाएगी। इस मुलाकात ने व्यापारियों का भरोसा और बढ़ा दिया, और वे इस सौदे को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हो गए।
मुनगसे और लोहोटे ने व्यापारियों को चेंबूर के स्वास्तिक चैंबर्स में सूरभि होटल ले जाया, जहां उनकी मुलाकात तीसरे व्यक्ति, मुकुंद झा, से हुई। इस मुलाकात में तीनों ने व्यापारियों को बताया कि नकदी देने वाला एक तीसरा पक्ष जल्द ही वहां पहुंचेगा। व्यापारियों को यह सब इतना विश्वसनीय लगा कि उन्होंने कोई सवाल नहीं उठाया। स्वास्तिक चैंबर्स में हुई इस मुलाकात ने सौदे को और पक्का कर दिया, और व्यापारियों को लगा कि अब बस कुछ ही समय में उनका पैसा दोगुना होने वाला है।
लेकिन यह सब एक सुनियोजित जाल का हिस्सा था। स्वास्तिक चैंबर्स में व्यापारियों को इंतजार करवाया गया, ताकि ठगों को अपना अगला कदम उठाने का समय मिल सके। इस दौरान, व्यापारियों को बार-बार आश्वासन दिया गया कि सौदा जल्द पूरा हो जाएगा। यह इंतजार और भरोसा ही उनकी सबसे बड़ी गलती बनने वाला था।
शाम होते-होते, दो अज्ञात लोग व्यापारियों की गाड़ी में आकर बैठ गए। उन्होंने दावा किया कि वे सौदे को अंतिम रूप देने के लिए पास के एक ऑफिस में जा रहे हैं। रास्ते में, उन्होंने गाड़ी को पूर्वी एक्सप्रेस राजमार्ग पर प्रगति बिल्डिंग के पास रुकवाया और कहा कि वे नकदी की जांच करना चाहते हैं। संतोष और अमित ने अपनी नकदी का बैग दिखाया, जिसमें 25 लाख रुपये रखे थे।
तभी, एक सफेद मारुति अर्टिगा गाड़ी तेजी से वहां पहुंची। उसमें से चार लोग उतरे, जिनके हाथ में डंडे थे और वे पुलिस की वर्दी जैसे कपड़े पहने हुए थे। उन्होंने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू किया, “पुलिस! पुलिस!” यह सब इतनी तेजी से हुआ कि व्यापारी कुछ समझ पाते, उससे पहले ही हंगामा शुरू हो गया। इन नकली पुलिसवालों ने व्यापारियों के सामने से 25 लाख रुपये का बैग छीन लिया और दो अज्ञात लोगों को पकड़कर अपनी गाड़ी में बिठा लिया। इसके बाद, वे तेजी से गाड़ी लेकर ठाणे की ओर भाग गए।
जब धूल का गुबार बैठा, तब संतोष और अमित को एहसास हुआ कि वे ठगी का शिकार हो गए हैं। उन्होंने भागते हुए ठगों की गाड़ी का पीछा करने की कोशिश की, लेकिन वे उनका कोई सुराग नहीं ढूंढ पाए। निराश और हताश होकर, उन्होंने नेहरू नगर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की। पुलिस ने प्रवीण मुनगसे, दशरथ लोहोटे, मुकुंद झा, और उनके अज्ञात साथियों के खिलाफ धोखाधड़ी और नकली पुलिस बनकर ठगी करने का मामला दर्ज किया। पुलिस अब सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है और आरोपियों की तलाश में छापेमारी कर रही है।
इस घटना ने व्यापारियों को न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाया, बल्कि उनके भरोसे को भी तोड़ा। संतोष ने बाद में बताया कि उन्हें मुनगसे पर पूरा भरोसा था, क्योंकि वह कई बार उनसे बात कर चुका था। लेकिन इस ठगी ने उन्हें यह सबक दिया कि हर चमकती चीज सोना नहीं होती।
यह कोई पहला मामला नहीं है, जब ठगों ने नकली पुलिस बनकर लोगों को लूटा हो। मुंबई में हाल के वर्षों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जहां लोग आसान पैसे के लालच में ठगी का शिकार हुए। उदाहरण के लिए, 2024 में ठाणे में एक कारोबारी को इसी तरह के एक घोटाले में 1.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। ऐसे घोटाले आमतौर पर एक ही पैटर्न पर काम करते हैं—लालच भरा ऑफर, भरोसेमंद मुलाकातें, और फिर आखिरी पल में नाटकीय ढंग से ठगी।
मुद्रा विनिमय घोटाला (Currency Exchange Scam) अक्सर उन लोगों को निशाना बनाता है, जो कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं। ठग लोगो को आधे दाम पर नकदी या विदेशी मुद्रा देने का वादा करते हैं, और फिर सुनियोजित तरीके से उनके पैसे लूट लेते हैं। इस मामले में, ठगों ने नकली पुलिस का ड्रामा रचकर व्यापारियों को डराया और उनका पैसा लेकर फरार हो गए। यह घटना दिखाती है कि ऐसी योजनाओं में शामिल होने से पहले कितनी सावधानी बरतने की जरूरत है।
नेहरू नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज इस मामले ने पुलिस को एक बड़ी चुनौती दी है। पुलिस अब उन सभी जगहों के सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है, जहां यह घटना हुई। स्वास्तिक चैंबर्स, प्रगति बिल्डिंग, और पूर्वी एक्सप्रेस राजमार्ग के आसपास के इलाकों में लगे कैमरों की फुटेज को खंगाला जा रहा है। इसके अलावा, पुलिस मुनगसे, लोहोटे, और झा के पिछले रिकॉर्ड की भी जांच कर रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या वे पहले भी ऐसी ठगी में शामिल रहे हैं।
पुलिस ने यह भी बताया कि इस तरह के घोटालों में अक्सर एक बड़ा नेटवर्क काम करता है, जिसमें कई लोग अलग-अलग भूमिकाएं निभाते हैं। इस मामले में, नकली पुलिस की भूमिका निभाने वाले लोग और असली मास्टरमाइंड अभी भी फरार हैं। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे ऐसी संदिग्ध योजनाओं में शामिल होने से बचें और किसी भी ऑफर की अच्छी तरह जांच करें।
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