मुंबई की लोकल ट्रेनों में यात्रा करना कितना मुश्किल है, ये तो सब जानते हैं। लेकिन क्या कभी सोचा है कि ये भीड़ जानलेवा साबित हो सकती है? डोंबिवली में पिछले 15 दिनों में तीन लोगों की मौत हो चुकी है, सब भीड़ की वजह से ट्रेन से गिरकर। अब यात्री रेलवे से सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर कब सुरक्षा पर ध्यान दिया जाएगा।
ये हादसे कोई हंसी-मज़ाक नहीं हैं। तीनों मामलों में लोग ट्रेन के दरवाज़े के पास खड़े थे, और भीड़ की धक्का-मुक्की में उनका संतुलन बिगड़ गया और वे चलती ट्रेन से गिर गए। इसमें एक IIT का छात्र भी था, और एक 26 साल की लड़की जिसने अभी-अभी काम करना शुरू किया था।
कौन थे ये लोग जिनकी जान गई?
25 साल के अवधेश दुबे IIT पटना से पढ़े थे और डोंबिवली में रहते थे।
रिया राजगोर भी डोंबिवली की रहने वाली थीं और ठाणे में काम करती थीं।
तीसरे व्यक्ति का नाम राहुल पुरुषोत्तम आष्टेकर था, वो 49 साल के थे।
परिवारों का रेलवे पर आरोप
इन सबके परिवारों का कहना है कि रेलवे की लापरवाही की वजह से उनकी जान गई। अवधेश के भाई ने तो सीधा कहा कि रेलवे को यात्रियों की सुरक्षा की कोई फिक्र नहीं है।
रेलवे की सफाई, यात्रियों की मांग
मुंबई के यात्री तो बरसों से ज़्यादा ट्रेनें चलाने की मांग कर रहे हैं, ताकि भीड़ कम हो। रेलवे का कहना है कि वो कोशिश कर रहे हैं, लेकिन लोगों को भी अपनी जान की परवाह करनी चाहिए और दरवाज़ों के पास खतरनाक तरीके से खड़े नहीं होना चाहिए।
ऐसा लगता है कि मुंबई में लोकल ट्रेन के सफर में सुधार की आस लगाए बैठे रहना बेकार है। रेलवे अपनी बातें करता रहेगा, यात्री परेशान होते रहेंगे। कुछ बदलाव तभी आएगा जब यात्री खुद एकजुट होकर अपनी मांग को लेकर ज़ोरदार आवाज़ उठाएंगे।
डोंबिवली इलाके में रोज़ाना लाखों लोग लोकल ट्रेन से सफर करते हैं।
इतनी बड़ी आबादी के लिए बहुत कम ट्रेनें चलती हैं, इसलिए भीड़ होना स्वाभाविक है।