दिल्ली में 27 साल बाद बीजेपी की सरकार बनी है, और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में नए मंत्रिमंडल ने शपथ ली है। इस कैबिनेट में बीजेपी ने अपने वफादार कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी है, जबकि कांग्रेस और आप से जुड़े पूर्व मंत्रियों को इसमें जगह नहीं मिली। इस फैसले के पीछे की कहानी क्या है? आइए जानते हैं।
क्यों नहीं मिला लवली, गहलोत और चौहान को मौका? (Why Were Lovely, Gahlot, and Chauhan Left Out?)
बीजेपी ने दिल्ली के नए मंत्रिमंडल में कांग्रेस से आए अरविंदर सिंह लवली और राजकुमार चौहान, तथा आप से आए कैलाश गहलोत को शामिल नहीं किया। ये फैसला पार्टी की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें संगठन के प्रति निष्ठा को सबसे ऊपर रखा गया है।
कैलाश गहलोत: आप सरकार में वरिष्ठ मंत्री रहे गहलोत ने चुनाव से कुछ महीने पहले ही बीजेपी का दामन थामा था। हालांकि, उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें किसी सरकारी बोर्ड या प्राधिकरण का प्रमुख बना सकती है।
अरविंदर सिंह लवली: लवली कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार में मंत्री रह चुके हैं। उन्होंने शिक्षा, परिवहन और शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण विभागों का कार्यभार संभाला था। लवली का ट्रैक रिकॉर्ड भी काफी अच्छा रहा है, लेकिन उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उन्होंने कई बार पार्टी बदली है, जिसके कारण बीजेपी ने उन पर भरोसा नहीं जताया।
राजकुमार चौहान: चौहान भी शीला दीक्षित सरकार में तीन बार मंत्री रह चुके हैं। हालांकि, उन्हें भी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। चौहान के मामले में भी पार्टी बदलने का इतिहास एक बड़ा कारण रहा।
कपिल मिश्रा को क्यों मिला मौका? (Why Was Kapil Mishra Given a Chance?)
कपिल मिश्रा, जो कभी आम आदमी पार्टी (आप) में मंत्री रहे थे, को इस बार बीजेपी की कैबिनेट में जगह मिली है। मिश्रा ने 2019 में बीजेपी जॉइन की और तब से पार्टी के लिए कड़ी मेहनत की। उन्होंने न केवल दिल्ली में, बल्कि गुजरात चुनाव में भी बीजेपी संगठन को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई।
मिश्रा ने आप के मंत्री सत्येंद्र जैन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे, जिसके बाद उन्हें आप से निकाल दिया गया। बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्होंने पार्टी के लिए कई बड़े काम किए, जिसके चलते उन्हें इस बार कैबिनेट में जगह मिली।
बीजेपी की रणनीति क्या है? (What is BJP’s Strategy?)
बीजेपी ने दिल्ली के नए मंत्रिमंडल में अपने वफादार कार्यकर्ताओं को प्राथमिकता दी है। पहली बार विधायक बनीं रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाया गया, जबकि दो अन्य नए विधायकों – रविंद्र इंद्राज और पंकज सिंह – को भी कैबिनेट में जगह मिली। यह फैसला पार्टी की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसमें संगठन के प्रति निष्ठा को सबसे ऊपर रखा गया है।
दिल्ली के नए मंत्रिमंडल के गठन में बीजेपी ने साफ कर दिया है कि वह अपने वफादार कार्यकर्ताओं को ही प्राथमिकता देगी। लवली, गहलोत और चौहान जैसे अनुभवी नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलना इस बात का संकेत है कि पार्टी पार्टीबदलुओं पर भरोसा नहीं करती। वहीं, कपिल मिश्रा को कैबिनेट में जगह मिलना यह दिखाता है कि बीजेपी उन लोगों को पुरस्कृत करती है, जो संगठन के लिए मेहनत करते हैं।
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