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Phule फिल्म को महाराष्ट्र में टैक्स फ्री करने की मांग, शरद पवार ने सीएम को लिखी चिट्ठी

Phule
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महात्मा ज्योतिराव फुले (Phule) और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले की जीवनी पर आधारित फिल्म ‘फुले’ ने समाज में एक नई चर्चा को जन्म दिया है। इस फिल्म को महाराष्ट्र में टैक्स फ्री करने की मांग तेज हो रही है। एनसीपी-एसपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर इस फिल्म को टैक्स फ्री करने की अपील की है।

‘फुले’ फिल्म का निर्देशन और कहानी
इस फिल्म का निर्देशन मशहूर निर्देशक अनंत महादेवन ने किया है। फिल्म में ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले के जीवन, उनके संघर्षों और सामाजिक सुधारों को बेहद संवेदनशीलता के साथ दर्शाया गया है। यह फिल्म न केवल उनके योगदान को उजागर करती है, बल्कि उस दौर की सामाजिक कुरीतियों और चुनौतियों को भी सामने लाती है।

‘फुले’ फिल्म में क्या है खास?
आज अगर महिलाएं पढ़-लिखकर अपने पैरों पर खड़ी हैं और समाज में अपनी पहचान बना रही हैं, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले को जाता है। ये फिल्म 1840 के दशक की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जब भारत ब्रिटिश शासन के अधीन था। उस समय समाज में जातिगत भेदभाव, अशिक्षा और कुप्रथाएं चरम पर थीं।

फिल्म दिखाती है कि कैसे ज्योतिराव फुले ने अपने ज्ञान को समाज के उत्थान के लिए उपयोग किया। उन्हें अपने ही समाज के खिलाफ लड़ना पड़ा, क्योंकि उस समय लड़कियों का पढ़ना-लिखना अधर्म माना जाता था। दलितों को समाज में हाशिए पर रखा जाता था और विधवाओं की स्थिति दयनीय थी। ज्योतिराव और सावित्रीबाई ने मिलकर इन सभी वर्गों के लिए काम किया और शिक्षा के महत्व को समाज तक पहुंचाया।

सावित्रीबाई फुले का योगदान
ज्योतिराव ने अपनी पत्नी सावित्रीबाई को घर पर ही पढ़ाया और उन्हें शिक्षित किया। इसके बाद उन्होंने समाज की अन्य लड़कियों को पढ़ाने की शुरुआत की, जिसके लिए उन्हें परिवार और समाज के विरोध का सामना करना पड़ा। फिर भी, उनका मानना था कि जब तक देश की पूरी आबादी साक्षर नहीं होगी, तब तक सच्ची आजादी संभव नहीं है।

फिल्म में ये भी दिखाया गया है कि कैसे फुले दंपति ने न केवल अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई को समर्थन दिया, बल्कि समाज में व्याप्त कुप्रथाओं के खिलाफ भी जंग लड़ी। उनके हर छोटे-बड़े संघर्ष को इस फिल्म में खूबसूरती से दर्शाया गया है।

क्यों हो रही है टैक्स फ्री की मांग?
‘फुले’ फिल्म न केवल एक प्रेरणादायक कहानी है, बल्कि यह समाज को शिक्षा और समानता का महत्व भी समझाती है। टैक्स फ्री होने से ये फिल्म अधिक लोगों तक पहुंच सकेगी, जिससे ज्योतिराव और सावित्रीबाई फुले के विचार और उनके योगदान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।

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