महाराष्ट्र

मराठी को लेकर डिप्टी CM अजित पवार का आया बड़ा बयान, बोले – ‘महाराष्ट्र में रहनेवालों को…’

अजित पवार
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मराठी को लेकर डिप्टी CM अजित पवार का आया बड़ा बयान: महाराष्ट्र में भाषा विवाद को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों के बीच तीखी नोकझोंक के बीच राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के कार्यकर्ताओं ने एक दुकानदार के साथ मारपीट की। ये घटना तब हुई जब दुकानदार को मराठी भाषा नहीं आती थी। इस मामले ने राज्य में भाषा को लेकर चल रहे विवाद को और हवा दे दी है।

सरकार का फैसला और विपक्ष का विरोध
महाराष्ट्र सरकार ने पहले एक आदेश जारी किया था, जिसमें कक्षा 5 तक के बच्चों को हिंदी पढ़ाने की बात कही गई थी। हालांकि, विपक्षी दलों के काफी विरोध के बाद सरकार को ये फैसला वापस लेना पड़ा। इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है।

अजित पवार का बयान
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने इस मुद्दे पर मीडिया से बातचीत में कहा, “कौन कह रहा है कि ये फैसला विपक्ष के पक्ष में गया है? ये तो आप बोल रहे हैं, कोई और नहीं। लोगों के मन की बात आप कैसे जानते हैं?” उन्होंने ये भी सवाल उठाया कि मराठी भाषा की मांग करने वाले लोग अपने बच्चों को किस माध्यम के स्कूल में पढ़ाते हैं।

जब एक पत्रकार ने बताया कि उनका बच्चा इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ता है, तो पवार ने कहा, “मेरे दोनों बच्चे भी इंग्लिश मीडियम में ही पढ़े हैं। हर माता-पिता को ये अधिकार है कि वे अपने बच्चों को किस स्कूल में पढ़ाएं।” हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि महाराष्ट्र में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मराठी भाषा आनी चाहिए, जिसमें पढ़ना, लिखना और बोलना शामिल है।

त्रिभाषा नीति पर पुनर्विचार
अजित पवार ने ये भी स्पष्ट किया कि मातृभाषा का ज्ञान हर बच्चे के लिए जरूरी है, लेकिन इसके साथ ही अन्य भाषाओं को सीखना भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “त्रिभाषा नीति पर पुनर्विचार का निर्णय इसी सोच के तहत लिया गया है कि मातृभाषा को प्राथमिकता दी जाए, लेकिन बच्चों को अन्य भाषाएं सीखने से रोका नहीं जाए।”

एमएनएस की हिंसक कार्रवाई
इस बीच, एमएनएस कार्यकर्ताओं द्वारा दुकानदार के साथ मारपीट की घटना ने विवाद को और बढ़ा दिया है। दुकानदार पर मराठी न बोल पाने के कारण हमला किया गया, जिसकी चौतरफा निंदा हो रही है। इस घटना ने मराठी भाषा के समर्थन में हिंसक कार्रवाइयों पर सवाल खड़े किए हैं।

महाराष्ट्र में भाषा विवाद अब राजनीतिक और सामाजिक बहस का केंद्र बन गया है। एक तरफ मराठी भाषा को बढ़ावा देने की मांग है, तो दूसरी तरफ अन्य भाषाओं को शामिल करने की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है। इस मामले में सरकार और विपक्ष के बीच तनाव और बढ़ने की आशंका है।

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