मुंबई

Digital Arrest Fraud: थाने में साइबर ठगी का बड़ा खुलासा, अंतरराष्ट्रीय गिरोह से जुड़े 3 लोग गिरफ्तार

Digital Arrest Fraud: थाने में साइबर ठगी का बड़ा खुलासा, अंतरराष्ट्रीय गिरोह से जुड़े 3 लोग गिरफ्तार

Digital Arrest Fraud: महाराष्ट्र के थाने शहर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक 61 वर्षीय महिला को डिजिटल गिरफ्तारी (Digital Arrest) के जाल में फंसाकर 3 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की गई। यह घटना न केवल तकनीकी अपराधों की बढ़ती चुनौती को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे ठग लोग भोले-भाले व्यक्तियों का विश्वास जीतकर उन्हें अपने जाल में फंसाते हैं। इस मामले में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनका संबंध एक अंतरराष्ट्रीय ठगी गिरोह से बताया जा रहा है।

यह सब पिछले साल 13 अगस्त को शुरू हुआ, जब पीड़ित महिला को एक फोन कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को एक कूरियर कंपनी का कर्मचारी बताया और दावा किया कि उन्होंने महिला के नाम से एक पार्सल जब्त किया है, जिसमें एक लैपटॉप, 140 ग्राम एमडी (नशीला पदार्थ), एक थाई पासपोर्ट, तीन क्रेडिट कार्ड और चार किलोग्राम कपड़े शामिल थे। इस चौंकाने वाली जानकारी ने महिला को परेशान कर दिया। इसके तुरंत बाद, एक अन्य व्यक्ति ने, जो खुद को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) का अधिकारी बताता था, महिला को एक अलग नंबर से कॉल किया। उसने कुछ फर्जी दस्तावेज दिखाए और डिजिटल गिरफ्तारी (Digital Arrest) का डर दिखाकर उनसे पैसे ट्रांसफर करने का दबाव बनाया।

इस डर और भ्रम की स्थिति में, ठगों ने महिला को इतना डरा दिया कि उन्होंने दो अलग-अलग राष्ट्रीय बैंकों के खातों में 3.04 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए। यह राशि इतनी बड़ी थी कि यह ठगी की गंभीरता को दर्शाती है। थाने साइबर पुलिस की गहन जांच में पता चला कि इस ठगी का तार अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जुड़ा हुआ है। जांच में खुलासा हुआ कि ठगों ने 82.46 लाख रुपये को विदेश में ट्रांसफर कर दिया, जिसे कथित तौर पर वर्चुअल डिजिटल एसेट (Virtual Digital Asset) में परिवर्तित कर लिया गया। इस तरह की तकनीकी चालबाजी आधुनिक वित्तीय अपराधों (Financial Fraud) की जटिलता को उजागर करती है।

थाने पुलिस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए 19 जून को तीन लोगों को गिरफ्तार किया। इनकी पहचान किशोर बंसीलाल जैन (63 वर्ष), जो मुंबई में श्री सत्कार पथपेडी (सहकारी क्रेडिट सोसाइटी) के अध्यक्ष हैं, महेश पवन कोठारी (36 वर्ष), जो कपड़ा और नकली आभूषण के व्यवसाय से जुड़े हैं, और धवल संतोष भालेराव (26 वर्ष), जो सौंदर्य प्रसाधन के व्यवसाय में शामिल हैं, के रूप में हुई। पुलिस के अनुसार, इन आरोपियों ने बहुत ही चालाकी से अपनी कहानी गढ़ी थी ताकि पीड़िता को डर और भ्रम में डालकर उनसे पैसे ऐंठे जा सकें।

पुलिस उपायुक्त पराग मानेरे ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आरोपियों ने पीड़िता का विश्वास जीतने के लिए उच्च अधिकारियों की नकली पहचान बनाई और उन्हें डराने के लिए सुनियोजित तरीके से काम किया। इस मामले में भारतीय न्याय संहिता की धारा 318(4) (धोखाधड़ी), 316(5) (आपराधिक विश्वासघात), 336(3) (जालसाजी) और 340(2) (जाली दस्तावेज का उपयोग) के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की प्रासंगिक धाराओं के तहत 13 सितंबर को प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की गई।

यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि डिजिटल युग में अपराधी कितने शातिर हो गए हैं। वे न केवल तकनीक का उपयोग करते हैं, बल्कि लोगों की भावनाओं और विश्वास का भी दुरुपयोग करते हैं। इस मामले से यह स्पष्ट होता है कि हमें अनजान कॉल्स और संदेशों के प्रति सतर्क रहना चाहिए, खासकर जब कोई हमसे व्यक्तिगत जानकारी या पैसे की मांग करता है। थाने पुलिस की इस कार्रवाई ने न केवल पीड़िता को न्याय दिलाने की दिशा में कदम उठाया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि कानून के हाथ लंबे हैं और अपराधी कितने भी चालाक क्यों न हों, वे बच नहीं सकते।

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