भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने हाल ही में नए आपराधिक कानूनों को समाज के लिए ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि ये कानून तभी सफल होंगे जब वे लोग इन्हें प्रभावी तरीके से अपनाएंगे, जिन पर इन्हें लागू करने का जिम्मा है।
इन नए कानूनों में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, और भारतीय साक्ष्य संहिता शामिल हैं, जो 1 जुलाई से लागू हो जाएंगे। इन कानूनों के बिल को संसद ने 21 दिसंबर 2023 को पास किया था और 25 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर के बाद ये बिल कानून बन गए।
CJI चंद्रचूड़ के अनुसार, इन नए कानूनों ने आपराधिक न्याय के कानूनी ढांचे को एक नए युग में बदल दिया है। ये ऐतिहासिक इसलिए हैं क्योंकि कोई भी कानून क्रिमिनल लॉ जैसा रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित नहीं करता। उन्होंने दिल्ली में एक कॉन्फ्रेंस ‘इंडियाज प्रोग्रेसिव पाथ इन द एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम’ में ये बातें कहीं।
इन नए कानूनों का उद्देश्य आपराधिक न्याय प्रणाली में जरूरी सुधार करना है, जिससे पीड़ितों के हितों की रक्षा हो सके और अपराधों की जांच एवं सुचारू अभियोजन (मुकदमे की ट्रायल) के लिए जरूरी सुधार किए जा सकें। इसके अलावा, ये कानून डिजिटल युग में अपराधों से निपटने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाते हैं, जिसमें 7 साल से ज्यादा सजा वाले अपराधों के लिए तलाशी और जब्ती की ऑडियो विजुअल रिकॉर्डिंग और अपराध स्थल पर एक फोरेंसिक विशेषज्ञ की मौजूदगी तय करती है।
यह बदलाव भारतीय न्याय प्रणाली के लिए एक नई दिशा का संकेत है और इसे आधुनिक भारत की जरूरतों के अनुरूप बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।