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क्या मुसलमानों को सच में आरक्षण की ज़रूरत है? जानिए उनकी मांगें

Do Muslims Really Need Reservation? Here's What They Deman
महाराष्ट्र में सपा विधायक रईस शेख ने मुसलमानों को शिक्षा और रोज़गार में 5% आरक्षण देने की मांग की है। क्या मुस्लिम समुदाय को आरक्षण की ज़रूरत है और क्यों? जानने के लिए पढ़िए ये रिपोर्ट।

भारत में कुछ राज्यों में मुस्लिम समुदाय को पिछड़ा वर्ग (OBC) का दर्जा देकर, उन्हें आरक्षण मिलता है। महाराष्ट्र में 2014 से पहले तक मुस्लिमों को 5% आरक्षण मिलता था, जो बाद में अदालत द्वारा रद्द कर दिया गया।

समाजवादी पार्टी (सपा) के महाराष्ट्र विधायक रईस शेख ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर मुस्लिम समुदाय को 5% आरक्षण दिए जाने की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि यह आरक्षण मुस्लिम समुदाय के सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए ज़रूरी है।

इस मुद्दे पर ऑल इंडिया मेमन जमात फेडरेशन (AIMJF) के अध्यक्ष, इकबाल मेमन का कहना है कि महाराष्ट्र में कई मुसलमान सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग में आते हैं और अशिक्षा की समस्या भी है। मुस्लिम समुदाय के उत्थान के लिए यह आरक्षण ज़रूरी है।

साल 2008 में महाराष्ट्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने महमूदुर रहमान समिति का गठन किया था, जिसने राज्य भर में सर्वे के बाद मुसलमानों को 10% आरक्षण देने की सिफारिश की थी।  इकबाल मेमन के मुताबिक़, “उसके बाद, जो अशोक चव्हाण थे, जो उस समय कांग्रेस के साथ थे, सत्ता में आए। उन्होंने वादा किया था कि वे मुस्लिम समुदाय को कम से कम पांच प्रतिशत आरक्षण देंगे। इस घोषणा के बाद, जो आरक्षण देने के पक्ष में नहीं थे, वे अदालत चले गए। यहां तक ​​कि अदालत ने भी कहा कि मुस्लिम समुदाय को आरक्षण दिया जाना चाहिए।”

कई वर्षों से यह मामला अधर में लटका है।  इकबाल मेमन का कहना है कि मुस्लिम समुदाय सरकारी नौकरियों में आरक्षण नहीं माँग रहा है, बल्कि शिक्षा और व्यापार में ऋण आदि की सुविधाएँ चाहता है।

महाराष्ट्र में मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा लंबे समय से विवादों में रहा है। राज्य सरकार को अदालत के निर्देश और विभिन्न समितियों की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए इस पर फ़ैसला लेने की ज़रूरत है।

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