Dombivali Bandh: मुंबई के पास बसा डोम्बिवली शहर आज एक गहरे शोक में डूबा हुआ है। मंगलवार, 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए दिल दहला देने वाले आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई, जिनमें डोम्बिवली के तीन निवासी—संजय लेले (52), अतुल मोने (44) और हेमंत जोशी (43)—भी शामिल थे। ये तीनों एक ही परिवार के सदस्य थे, जो गर्मियों की छुट्टियों में कश्मीर की खूबसूरत वादियों का लुत्फ उठाने गए थे। लेकिन उनकी यह यात्रा एक त्रासदी में बदल गई। इस दुखद घटना के बाद डोम्बिवली में आज, 24 अप्रैल 2025 को डोम्बिवली बंद (Dombivali Bandh) का ऐलान किया गया है।
पहलगाम का बाइसारन घास का मैदान, जिसे लोग ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ भी कहते हैं, हमेशा से पर्यटकों के लिए स्वर्ग सा रहा है। लेकिन उस दिन वहां मौजूद पर्यटकों पर आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। हमले में संजय, अतुल और हेमंत की जान चली गई, जबकि संजय के 20 वर्षीय बेटे हर्षल लेले को गोली लगने से चोट आई। हर्षल की उंगली में गोली लगी, और वे अभी अस्पताल में हैं। इस घटना ने न केवल डोम्बिवली, बल्कि पूरे देश में गुस्से और दुख की लहर दौड़ा दी। लोग सड़कों पर उतर आए, और पाकिस्तान मुर्दाबाद (Pakistan Murdabad) के नारे गूंजने लगे।
डोम्बिवली के भगशाला मैदान में बुधवार को हजारों लोग अपने प्रियजनों को अंतिम विदाई देने के लिए जमा हुए। संजय, अतुल और हेमंत के पार्थिव शरीर जब उनके घर पहुंचे, तो पूरा शहर गमगीन हो गया। संजय लेले शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के नेता राजेश कदम के बहनोई थे। उनकी पत्नी कविता और परिवार के अन्य सदस्य भी इस यात्रा पर उनके साथ थे। अतुल और हेमंत, कविता के चचेरे भाई, डोम्बिवली ईस्ट में लेले परिवार के घर से बस एक किलोमीटर की दूरी पर रहते थे। ये तीनों बचपन के दोस्त थे, जिन्होंने मिलकर इस छुट्टी की योजना बनाई थी।
इस दुख की घड़ी में डोम्बिवली के स्थानीय नेताओं और निवासियों ने एकजुटता दिखाई। स्थानीय विधायक रविंद्र चव्हाण ने डोम्बिवली बंद (Dombivali Bandh) का आह्वान किया और लोगों से अपील की कि वे इस बंद में शामिल होकर मृतकों को श्रद्धांजलि दें और आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करें। उन्होंने कहा, “हमारे शहर ने अपने तीन बेटों को खोया है। यह बंद सिर्फ शोक व्यक्त करने का तरीका नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ हमारा विरोध भी है।” इस बंद को राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और व्यापारिक समुदायों का पूरा समर्थन मिला।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी डोम्बिवली पहुंचकर शोकाकुल परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने पीड़ित परिवारों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया। इस दौरान भगशाला मैदान में मौजूद लोगों का गुस्सा साफ झलक रहा था। भीड़ में से **पाकिस्तान मुर्दाबाद** (Pakistan Murdabad) के नारे गूंज रहे थे। लोग आतंकवाद के खिलाफ कड़ा कदम उठाने की मांग कर रहे थे। मैदान में लगे बैनरों पर भी यही नारे लिखे हुए थे, जो इस हमले के प्रति लोगों के आक्रोश को दर्शा रहे थे।
इस हमले के बाद डोम्बिवली के सांसद डॉ. श्रीकांत शिंदे और शिवसेना के अन्य नेताओं ने पीड़ित परिवारों की मदद के लिए तुरंत कदम उठाए। हमले की खबर मिलते ही राजेश कदम कश्मीर रवाना हो गए। श्रीकांत शिंदे ने मृतकों के पार्थिव शरीर को मुंबई लाने की व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। थाणे के कलेक्टर अशोक शिंगारे, विधायक रविंद्र चव्हाण, राजेश मोरे और कल्याण के प्रशासनिक अधिकारी लगातार परिवारों के संपर्क में रहे। कल्याण-डोम्बिवली नगर निगम ने भगशाला मैदान में सामूहिक अंतिम संस्कार की व्यवस्था की, जहां हजारों लोग अपने प्रियजनों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे।
पहलगाम हमले की जिम्मेदारी रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) नामक संगठन ने ली, जो पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा का एक हिस्सा माना जाता है। सुरक्षा एजेंसियों ने हमलावरों की तलाश में बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने हमलावरों की जानकारी देने वालों के लिए 20 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की है। इस बीच, भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े कदम उठाए हैं, जिनमें इंडस जल संधि को निलंबित करना और अटारी सीमा चौकी को बंद करना शामिल है।
डोम्बिवली के लोग इस त्रासदी से उबरने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन संजय, अतुल और हेमंत की यादें उनके दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगी। भगशाला मैदान में जब इन तीनों के पार्थिव शरीर खुले वाहनों में अंतिम संस्कार के लिए ले जाए गए, तो परिवार वालों की आंखों में आंसू और भीड़ में गुस्सा साफ दिखाई दे रहा था। इस दुखद घटना ने न केवल डोम्बिवली, बल्कि पूरे देश को एकजुट कर दिया है। लोग आतंकवाद के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।
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