Dowry Demands Based on Jobs: भारत में दहेज की प्रथा आज भी कायम है, और यह नौकरी के आधार पर अलग-अलग रूप लेती है। IAS, डॉक्टर, इंजीनियर से लेकर शिक्षक तक, हर पेशे के लिए दहेज का स्टैंडर्ड तय है। लाखों रुपये कैश से लेकर लग्जरी कार और फॉरेन हनीमून पैकेज तक, दहेज अब स्टेटस का प्रतीक बन गया है। आइए जानते हैं कि किस नौकरी के लिए कितना दहेज मांगा जाता है और इसका समाज पर क्या असर है।
भारत में शादी के समय दहेज देना और लेना एक आम बात है। चाहे अरेंज मैरिज हो या लव मैरिज, दहेज किसी न किसी रूप में मौजूद रहता है। हाल ही में ग्रेटर नोएडा में 28 साल की निक्की भाटी की दहेज के लिए हत्या का मामला सामने आया। निक्की के पिता ने बताया कि उन्होंने शादी में स्कॉर्पियो गाड़ी, मोटरसाइकिल और गहने दिए थे, लेकिन ससुराल वाले 36 लाख रुपये और लग्जरी कार की मांग कर रहे थे। इस मामले ने एक बार फिर दहेज की गंभीर समस्या को उजागर किया।
दहेज की मांग नौकरी के आधार पर बदलती है। सामाजिक शोध बताते हैं कि दहेज सिर्फ पैसे का लेन-देन नहीं, बल्कि सामाजिक रुतबा दिखाने का जरिया भी है। 1950-60 के दशक में समाजशास्त्री एम.एन. श्रीनिवास ने इसे ‘संस्कृतिकरण’ कहा था। पहले यह प्रथा ऊंची जातियों और अमीर वर्ग तक सीमित थी, लेकिन अब यह हर वर्ग में फैल गई है। आज दहेज में नकद राशि, गहने, गाड़ियां, फ्लैट और यहां तक कि फॉरेन हनीमून पैकेज तक शामिल हो गए हैं।
सबसे ज्यादा मांग IAS, IPS और PCS जैसे बड़े सरकारी अधिकारियों के लिए होती है। इनके लिए दहेज 50 लाख से 2 करोड़ रुपये तक हो सकता है। गिफ्ट में फॉर्च्यूनर, मर्सिडीज या बीएमडब्ल्यू जैसी लग्जरी गाड़ियां और फ्लैट या जमीन दी जाती है। कई बार परिवार खुद अपनी हैसियत दिखाने के लिए महंगे गिफ्ट देते हैं। डॉक्टरों के लिए भी दहेज का रेट ऊंचा है। MBBS या MD जैसे डॉक्टरों के लिए 50 लाख से 1.5 करोड़ रुपये तक मांगे जाते हैं। गिफ्ट में हॉस्पिटल सेटअप के लिए पैसा, SUV गाड़ियां या गहने दिए जाते हैं।
बैंक पीओ, PSU अफसर और SSC या रेलवे जैसे सरकारी कर्मचारियों के लिए दहेज 20 लाख से 70 लाख रुपये तक होता है। इनके लिए क्रेटा, इनोवा या स्कॉर्पियो जैसी मिड-रेंज गाड़ियां और गहने आम हैं। इंजीनियरों, खासकर आईटी सेक्टर या विदेश में काम करने वालों के लिए दहेज 30 लाख से 1 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। इनके लिए आईफोन, मैकबुक, फॉरेन टूर पैकेज या लग्जरी कार गिफ्ट में दी जाती है।
प्राइवेट डॉक्टर, बिजनेसमैन और चार्टर्ड अकाउंटेंट जैसे पेशों के लिए 20 लाख से 60 लाख रुपये तक दहेज मांगा जाता है। गिफ्ट में घर, बिजनेस में निवेश या हनीमून पैकेज शामिल होते हैं। छोटे शहरों और गांवों में शिक्षक, क्लर्क या पुलिस कॉन्स्टेबल जैसे पेशों के लिए 5 लाख से 20 लाख रुपये तक दहेज तय होता है। इनके लिए मोटरसाइकिल, छोटा फ्लैट या जमीन का टुकड़ा दिया जाता है।
दहेज की यह प्रथा समाज में गहरी जड़ें जमा चुकी है। ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरों तक, हर जगह नौकरी के आधार पर दहेज का स्टैंडर्ड तय हो चुका है।