EC का संकल्प: भारतीय चुनाव आयोग (EC) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि मतदान प्रतिशत के डेटा को जारी करने में किसी भी प्रकार की देरी नहीं की जाएगी। इस बयान के माध्यम से चुनाव आयोग ने यह भी दृढ़ता से कहा है कि एक बार जारी किए गए डेटा को कोई भी बदल नहीं सकता है।
चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि कुछ लोग और समूह गलत नैरेटिव फैला रहे हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया की शुचिता पर प्रश्न उठाए जा रहे हैं। आयोग ने इस तरह के आरोपों को निराधार और भ्रामक बताया है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदान के डेटा को सार्वजनिक करने की प्रक्रिया में विलंब के लिए तकनीकी और प्रक्रियागत कारण हो सकते हैं, जैसे कि दूरदराज के मतदान केंद्रों से डेटा प्राप्त करने में समय लगना।
इसके अलावा, चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल करते हुए यह भी बताया कि चुनाव के बीच में नियमों में बदलाव करना नामुमकिन है। आयोग ने यह भी जोर देकर कहा कि वोटर टर्नआउट डेटा को बदलने की कोई भी कोशिश नहीं की जा सकती और इस तरह के डेटा को बदलने का कोई भी दावा गलत है।
चुनाव आयोग के इस बयान को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों और समूहों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं। कुछ ने आयोग के इस कदम का स्वागत किया है, जबकि कुछ अन्य ने इसे चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी के रूप में देखा है।