प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत का विरोध किया है। ED ने कहा है कि चुनाव प्रचार का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है और न ही संवैधानिक अधिकार। ED ने ये भी कहा कि किसी भी राजनीतिक नेता को उनके अपने प्रचार के लिए कभी भी अंतरिम जमानत नहीं दी गई है, भले ही वो चुनाव लड़ रहे हों या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट में दायर एक नए हलफनामे में, ED ने कहा कि केजरीवाल लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और उन्हें चुनाव प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देना उचित नहीं होगा। ED ने यो भी बताया कि अगर चुनाव प्रचार को अंतरिम जमानत देने का आधार माना जाएगा, तो ये अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा और राजनीतिज्ञों को विशेष उपचार नहीं दिया जा सकता।
इस बीच, केजरीवाल की न्यायिक हिरासत को एक दिल्ली अदालत के आदेश के बाद 20 मई तक बढ़ा दिया गया है। उन्हें 21 मार्च को गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वो तिहाड़ जेल में न्यायिक हिरासत में हैं। केजरीवाल पर शराब व्यापारियों से लाभ के बदले फायदे देने का आरोप है और ED ने उन्हें दिल्ली सरकार की अब निरस्त आबकारी नीति 2021-22 में “मुख्य साजिशकर्ता और किंगपिन” बताया है।
आम आदमी पार्टी और केजरीवाल ने इस मामले में अपनी बेगुनाही का दावा किया है और केंद्र सरकार पर विपक्ष की आवाज को दबाने और लोकसभा चुनाव 2024 में AAP के प्रचार को बाधित करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है। लोकसभा चुनाव 2024 सात चरणों में हो रहे हैं, जिनमें से पहले तीन चरण पहले ही समाप्त हो चुके हैं।
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