बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार से पूछा है कि विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए शैक्षिक टीवी कार्यक्रम प्रसारित करने के निर्णय को कैसे लागू किया जाएगा। सरकार ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम बनाने और प्रसारित करने का खर्च लगभग 4 करोड़ रुपये है, लेकिन इसके लिए कोई फंड उपलब्ध नहीं है।
जनहित याचिका
दरअसल एनजीओ अनमप्रेम और डॉ. कल्याणी एन मांडके ने एक जनहित याचिका दायर की है, जिसमें विकलांग बच्चों के लिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से नई शिक्षण पद्धतियों को लागू करने की मांग की गई है। याचिका में ये भी कहा गया है कि अगले तीन वर्षों के लिए एक संरचित पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम तैयार किया जाए और शिक्षकों के लिए दिशा-निर्देश तय किए जाएं।
कोर्ट की प्रतिक्रिया
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने राज्य के सामाजिक न्याय विभाग को सूचित किया कि विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए शिक्षा को मजबूत करने के लिए कुछ निर्णय लिए गए हैं। उन्होंने दूरदर्शन और आकाशवाणी पर शैक्षिक कार्यक्रम प्रसारित करने के लिए समय स्लॉट आरक्षित करने का निर्णय लिया है। डीडी सह्याद्री चैनल पर सुबह और शाम दो घंटे ऐसे कार्यक्रम प्रसारित होंगे।
वित्तीय चुनौतियां
सरकार ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों को बनाने और प्रसारित करने का कुल खर्च लगभग 4 करोड़ रुपये होगा, और इसके लिए केंद्र सरकार से फंड की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, समय स्लॉट की उपलब्धता भी एक चुनौती है। सरकार ने ये भी सुझाव दिया कि YouTube पर शिक्षा वीडियो एक बेहतर विकल्प हो सकता है, क्योंकि इसे बार-बार देखा जा सकता है, लेकिन इसके लिए भी फंड की कमी है।
कोर्ट का निर्देश
अदालत ने राज्य सरकार को छह सप्ताह के भीतर एक नया हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें बताया गया हो कि 10 अगस्त, 2021 को लिए गए निर्णयों को लागू करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। इसके साथ ही, केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालय से भी हलफनामा मांगा गया है, जिसमें बताया गया हो कि उक्त निर्णयों को कैसे लागू किया जा सकता है।
इस प्रकार, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए शैक्षिक कार्यक्रमों को लागू करने में सरकार के समक्ष वित्तीय और समय संबंधित चुनौतियां हैं, जिन्हें हल करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर काम करना होगा।