एकनाथ खडसे की भाजपा वापसी पर उठे सवाल: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से हलचल मच गई है। इस बार चर्चा का विषय हैं पूर्व मंत्री एकनाथ खडसे। क्या आप जानते हैं कि खडसे जी ने भाजपा में वापसी का दावा किया है? लेकिन यह कहानी इतनी सीधी नहीं है जितनी दिखती है। आइए इस मामले की तह में जाते हैं और समझते हैं कि आखिर क्या चल रहा है।
खडसे का दावा: भाजपा में शामिल हो चुका हूं
एकनाथ खडसे ने एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि वे पहले ही भाजपा में शामिल हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि यह काम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा की मौजूदगी में हुआ था। लेकिन फिर भी इसकी आधिकारिक घोषणा क्यों नहीं हुई? खडसे के मुताबिक, महाराष्ट्र के कुछ नेता इसका विरोध कर रहे हैं। यह बात सोचने वाली है कि आखिर किन नेताओं को खडसे की वापसी से परेशानी है और क्यों?
राजनीतिक रस्साकशी: क्या है असली वजह?
खडसे की इस स्थिति के पीछे कई कारण हो सकते हैं। सबसे पहले तो यह देखना होगा कि खडसे और देवेंद्र फडणवीस के बीच पुराने मतभेद कितने सुलझे हैं। दूसरा, जलगांव जिले की राजनीति में खडसे और गिरीश महाजन के बीच की प्रतिद्वंद्विता भी एक बड़ा मुद्दा है। क्या यह लड़ाई अब भी जारी है? और तीसरा, भाजपा के राज्य नेतृत्व को डर है कि खडसे की वापसी से जिले के राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। क्या यह चिंता वाजिब है?
खडसे का अल्टीमेटम: भाजपा या फिर NCP(SP)?
एकनाथ खडसे ने अपनी बात को और मजबूत करने के लिए एक तरह का अल्टीमेटम भी दे दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर कुछ दिनों में उनकी वापसी की घोषणा नहीं हुई, तो वे NCP(SP) में लौट जाएंगे। यह बयान कितना गंभीर है? क्या खडसे सच में वापस NCP(SP) में जा सकते हैं? या फिर यह सिर्फ भाजपा पर दबाव बनाने की रणनीति है?
भाजपा का रुख: चुप्पी क्यों?
इस पूरे मामले में भाजपा का रुख बहुत दिलचस्प है। पार्टी के राज्य अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा है कि उन्हें खडसे के बयान के बारे में कोई जानकारी नहीं है। लेकिन साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई है कि खडसे आने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे। क्या यह बयान कुछ इशारा कर रहा है? क्या भाजपा खडसे को अपने साथ रखना चाहती है, लेकिन बिना किसी आधिकारिक पद के?
एकनाथ खडसे की राजनीतिक यात्रा अभी भी जारी है। उनकी बेटी रक्षा खडसे भाजपा से सांसद हैं और अब केंद्र में मंत्री भी बन गई हैं। ऐसे में खडसे का भाजपा से दूर रहना कितना संभव है? दूसरी ओर, अगर वे सच में NCP(SP) में लौटते हैं, तो क्या इससे महाराष्ट्र की राजनीति में कोई बड़ा बदलाव आएगा?
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