महाराष्ट्रमुंबई

Eknath Shinde’s Diminishing Role: तो क्या सच में एकनाथ शिंदे का युग खत्म? फडणवीस सरकार में कैसे घट गया पूर्व CM का कद?

Eknath Shinde's Diminishing Role: तो क्या सच में एकनाथ शिंदे का युग खत्म? फडणवीस सरकार में कैसे घट गया पूर्व CM का कद?

एकनाथ शिंदे का घटता प्रभाव (Eknath Shinde’s Diminishing Role) महाराष्ट्र की राजनीति में इस समय चर्चा का बड़ा विषय बना हुआ है। एकनाथ शिंदे, जिन्होंने 2022 में महाराष्ट्र की राजनीति का पासा पलटा था और मुख्यमंत्री बने थे, अब खुद सीमित शक्तियों और कम प्रभाव के साथ काम कर रहे हैं। 2024 के विधानसभा चुनावों के बाद बनी नई सरकार में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी नेता अजित पवार की बढ़ती ताकत ने शिंदे की स्थिति को कमजोर कर दिया है।

फडणवीस सरकार में एकनाथ शिंदे का घटा कद

महाराष्ट्र के नए मंत्रिमंडल विस्तार में एकनाथ शिंदे को शहरी विकास और लोक निर्माण विभाग जैसे कम महत्वपूर्ण विभागों से संतोष करना पड़ा। गृह विभाग, जिसे शिंदे हासिल करना चाहते थे, वह फडणवीस ने अपने पास रखा। इसके अलावा, ऊर्जा, कानून और न्यायपालिका, सामान्य प्रशासन, और सूचना एवं प्रचार विभाग भी फडणवीस के पास गए। वहीं अजित पवार को वित्त और राज्य उत्पाद शुल्क विभाग मिला।

शिंदे, जो पहले मुख्यमंत्री के तौर पर प्रमुख फैसले लेते थे, अब डिप्टी सीएम के पद पर सीमित हो गए हैं।

कैसे सीमित हो गया शिंदे का प्रभाव?

2022 में उद्धव ठाकरे से बगावत कर शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। उस समय उनकी कार्यशैली और योजनाओं ने उन्हें प्रमुख स्थान दिलाया। लेकिन इस बार की चुनावी परिस्थितियों में भाजपा ने 132 सीटें जीतकर बहुमत के करीब पहुंचते हुए अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। शिवसेना (शिंदे गुट) को 57 और अजित पवार की एनसीपी को 41 सीटें मिलीं। भाजपा की इस मजबूत स्थिति ने शिंदे की मांगों को नजरअंदाज कर दिया।

गृह विभाग का मसला

शिंदे की मांग थी कि गृह विभाग उनके पास हो, लेकिन यह फडणवीस ने अपने पास रखा। इस पर कई दौर की चर्चा हुई, लेकिन फडणवीस ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह विभाग भाजपा के पास ही रहेगा। यह फैसला शिंदे के घटते प्रभाव का सबसे बड़ा संकेत है।

राजनीतिक समीकरण और पार्टी पर असर

विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा और एनसीपी के गठबंधन के पास बहुमत का आंकड़ा आराम से पार करने के लिए पर्याप्त सीटें हैं। अजित पवार की एनसीपी और भाजपा के मजबूत प्रदर्शन ने शिंदे गुट को कमजोर बना दिया है। शिंदे की शिवसेना का राजनीतिक प्रभाव कम हुआ है, और पार्टी पर इसका क्या असर होगा, यह भविष्य के गर्भ में है।

क्या सच में खत्म हो गया शिंदे का युग?

शिंदे के घटते कद से यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या उनका राजनीतिक युग खत्म हो रहा है। एकनाथ शिंदे ने 2022 में महाराष्ट्र की राजनीति को बदल दिया था। लेकिन 2024 में भाजपा की मजबूत स्थिति और अजित पवार के उदय ने शिंदे को कमजोर कर दिया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि शिंदे अपनी पार्टी और खुद को नई परिस्थितियों में कैसे स्थापित करते हैं।

एकनाथ शिंदे का घटता प्रभाव (Eknath Shinde’s Diminishing Role) महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव दर्शाता है। फडणवीस और अजित पवार की मजबूत स्थिति ने शिंदे को बैकफुट पर धकेल दिया है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि शिंदे इस नई राजनीतिक चुनौती का सामना कैसे करते हैं।

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