Election Violence Case in Maharashtra: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हिंसा ने अपना विकराल रूप दिखाया है। महाराष्ट्र चुनाव हमला (Maharashtra Election Attack) एक ऐसी घटना है जिसने पूरे राज्य में सनसनी मचा दी है।
महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री और एनसीपी (शरद पवार गुट) के नेता अनिल देशमुख पर हुए हमले ने राजनीतिक परिदृश्य में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। यह घटना नागपुर के कटोल क्षेत्र में हुई, जो कि उनका निजी विधानसभा क्षेत्र है।
घटना की विस्तृत जानकारी
शाम के समय, जब अनिल देशमुख नरखेड़ में अपनी बैठक समाप्त करके वापस लौट रहे थे, तभी उनकी कार पर अचानक पत्थरबाजी शुरू हो गई। महाराष्ट्र में चुनावी हिंसा का प्रकरण (Election Violence Case in Maharashtra) इतना भयावह था कि उनके सफेद कुर्ते पर खून के धब्बे दिखाई दिए।
घटनास्थल पर सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि अनिल देशमुख के सिर से खून बह रहा था। उनकी कार का विंडशील्ड पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था और खिड़कियां टूट गई थीं। पुलिस मौके पर तुरंत पहुंची और घायल अनिल देशमुख को नागपुर के एलेक्सिस अस्पताल में भर्ती कराया गया।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
अनिल देशमुख वर्तमान में नागपुर की कटोल विधान सभा सीट से विधायक हैं। उन्होंने पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हालांकि, उन्हें कई आरोपों का सामना करना पड़ा है।
नवंबर 2021 में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में और अप्रैल 2022 में सीबीआई द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपों में उनकी गिरफ्तारी हुई थी। एक साल से अधिक समय तक न्यायिक हिरासत में रहने के बाद, बॉम्बे हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी।
वर्तमान चुनावी परिदृश्य
23 नवंबर को महाराष्ट्र में सभी 288 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। महाराष्ट्र चुनाव हमला (Maharashtra Election Attack) चुनावी प्रचार के अंतिम दिनों में हुआ है, जो इसे और भी संवेदनशील बनाता है।
इस बार एनसीपी (एसपी) ने अनिल देशमुख के बेटे सलिल देशमुख को इस निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतारा है। राजनीतिक गलियारों में इस हमले को लेकर कई तरह की बातें हो रही हैं।
पुलिस की भूमिका
नागपुर पुलिस ने घटना की पुष्टि की है और मौके पर तुरंत कार्रवाई की। फिलहाल जांच जारी है और हमले के पीछे के कारणों का खुलासा नहीं हो सका है।
यह घटना महाराष्ट्र की राजनीति में एक और उदाहरण है जहां चुनावी माहौल में हिंसा ने अपना डरावना चेहरा दिखाया है।