चुनावी बॉन्ड योजना राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए शुरू की गई थी। हालांकि, इस योजना के तहत चंदा देने वाली कंपनियों की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती, जिससे इस योजना की आलोचना भी होती है।
चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को चंदा देने वाली मुंबई की छह कंपनियां प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर विभाग की जांच के घेरे में हैं। ये कंपनियां अलग-अलग आरोपों से घिरी हुई हैं। इन कंपनियों ने कुल मिलाकर ₹186 करोड़ का चंदा दिया है।
इस मामले में सबसे प्रमुख नाम ओमकार रियल्टर्स एंड डेवलपर्स का है। इस कंपनी के निदेशकों के खिलाफ 2016 में फर्जी दस्तावेजों के जरिए अतिक्रमण का मामला दर्ज किया गया था। धोखाधड़ी के एक अन्य मामले के आधार पर ED ने भी कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। हालांकि, बाद में कंपनी को ED के मामले में बरी कर दिया गया।
जांच के दायरे में आए अन्य नामों में कल्पतरु प्रोजेक्ट्स, वेलस्पन ग्रुप, वी एम सालगांवकर ग्रुप और एडेलवाइस ग्रुप शामिल हैं। ये कंपनियां भी आयकर विभाग या ED द्वारा विभिन्न मामलों में जांच का सामना कर चुकी हैं।
जांच के घेरे में शामिल एक अन्य प्रमुख कंपनी यूनाइटेड फॉस्फोरस है। कंपनी ने अलग-अलग समय पर चुनावी बॉन्ड खरीदे थे। जनवरी 2020 में, कंपनी को मुंबई में आयकर विभाग द्वारा कर चोरी के आरोपों की जांच का सामना करना पड़ा था। 2019 में भी कंपनी के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।