क्या आप जानते हैं कि सिर्फ कोर्ट मैरिज करने से ही शादी मान्य नहीं होती? सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक मामले में फैसला दिया है कि सिर्फ कोर्ट मैरिज सर्टिफिकेट होने से ही शादी मान्य नहीं होती। इसके लिए धार्मिक रीति-रिवाजों का पालन करना भी जरूरी है।
शादी के लिए क्या जरूरी है?
रस्मों-रिवाजों के साथ शादी: भारत के हर धर्म में शादी की कुछ रस्में होती हैं, जैसे कि हिंदू धर्म में सात फेरे, मुस्लिम धर्म में निकाह और ईसाई धर्म में चर्च में शादी।
शादी का रजिस्ट्रेशन: शादी के बाद उसका रजिस्ट्रेशन करवाना जरूरी है। इससे शादी का कानूनी सबूत मिलता है।
अगर शादी रजिस्टर नहीं हुई तो क्या होगा?
शादी रजिस्टर नहीं होने से उसे अमान्य नहीं ठहराया जा सकता। लेकिन, शादी का सर्टिफिकेट कई जगहों पर काम आता है, जैसे कि वीजा के लिए आवेदन करते समय या बीमा के लिए।
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला इस बात पर जोर देता है कि शादी सिर्फ एक कानूनी अनुबंध नहीं है, बल्कि ये एक सामाजिक और धार्मिक बंधन भी है। इसलिए, शादी को मान्यता दिलाने के लिए रस्मों-रिवाजों का पालन करना भी जरूरी है।
विशेष विवाह अधिनियम: इस कानून के तहत बिना किसी रस्म के कोर्ट में शादी की जा सकती है। लेकिन, ये कानून सिर्फ उन लोगों के लिए है जो किसी धर्म के रीति-रिवाजों से शादी नहीं करना चाहते।
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