Exit Poll Results 2024: महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनावों के बाद अब सबकी निगाहें 23 नवंबर पर टिकी हैं, जब इन राज्यों में वोटों की गिनती होगी। एग्जिट पोल (Exit Poll) के आंकड़े पहले ही चर्चा में हैं। इस बार बीजेपी के लिए यह “डबल खुशी” लेकर आया है, लेकिन क्या यह खुशी वास्तविक नतीजों में तब्दील होगी?
हरियाणा चुनाव की याद दिलाने वाला यह दौर फिर से सवाल उठा रहा है—क्या एग्जिट पोल की भविष्यवाणियों पर यकीन किया जाए? और सबसे मजेदार बात, लड्डू-जलेबी का क्या होगा?
हरियाणा चुनाव से सीखे सबक: लड्डू और जलेबी का किस्सा
हरियाणा विधानसभा चुनाव ने न केवल राजनीतिक पार्टियों को, बल्कि हलवाइयों को भी सबक सिखा दिया। एग्जिट पोल (Exit Poll) ने हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने का संकेत दिया था। परिणामस्वरूप, कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने लड्डू और जलेबी के ऑर्डर धड़ाधड़ देना शुरू कर दिए। गोहाना और कैथल जैसे क्षेत्रों में हलवाइयों की दुकानों पर भीड़ लग गई।
परंतु जब नतीजे आए, तो कांग्रेस का जोश ठंडा पड़ गया। भाजपा ने न केवल सत्ता में वापसी की, बल्कि कांग्रेस को जलेबी के नाम पर ट्रोल भी कर दिया। हलवाइयों के कैंसल हुए ऑर्डरों ने उन्हें भी राजनीति का असली रंग दिखा दिया।
इस घटना ने साबित कर दिया कि एग्जिट पोल की मार केवल पार्टियों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि इसका असर उन लड्डुओं पर भी पड़ता है, जो नतीजों का जश्न मनाने के लिए तैयार किए जाते हैं।
एग्जिट पोल 2024: महाराष्ट्र और झारखंड का समीकरण
इस बार के एग्जिट पोल (Exit Poll) ने महाराष्ट्र में महायुति और झारखंड में भाजपा गठबंधन की सरकार बनने का इशारा किया है। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली महायुति को बढ़त मिलती दिख रही है, जबकि झारखंड में हेमंत सोरेन की पार्टी को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
हालांकि, कुछ एग्जिट पोल ने दोनों राज्यों में टफ फाइट की भी भविष्यवाणी की है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या हरियाणा चुनाव की तरह यहां भी उलटफेर होगा, या इस बार लड्डू का स्वाद लिया जाएगा?
लड्डू ऑर्डर करने का डर: क्या पार्टियां इस बार सतर्क हैं?
हरियाणा चुनाव की घटना के बाद पार्टियों ने अपनी रणनीतियों को बदला है। अब कोई भी पार्टी एग्जिट पोल के आधार पर पहले से जश्न मनाने का जोखिम नहीं उठाना चाहती। खासकर महाराष्ट्र में, जहां चुनावी मुकाबला कड़ा है, सभी दल नतीजों का इंतजार कर रहे हैं।
महाराष्ट्र और झारखंड के हलवाई भी इस बार सतर्क हैं। वे पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि ऑर्डर की एडवांस पेमेंट लिए बिना वे लड्डू नहीं बनाएंगे।
राजनीतिक पार्टियों की प्रतिक्रियाएं
झारखंड में हेमंत सोरेन ने कहा है कि वे जनता के फैसले का सम्मान करेंगे। दूसरी ओर, महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों ने अपने-अपने समर्थकों को संयम बनाए रखने का संदेश दिया है। भाजपा ने भी इस बार एग्जिट पोल को लेकर ज्यादा उत्साह नहीं दिखाया है।
हालांकि, राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि असली खेल एग्जिट पोल (Exit Poll) के बाद ही शुरू होता है। नतीजों के दिन, सच्चाई सबके सामने होगी।
क्या लड्डू बच पाएंगे?
अब सवाल यह है कि इस बार हलवाइयों को हरियाणा जैसे हालात का सामना करना पड़ेगा या नहीं। पार्टियां अब ज्यादा सतर्क हैं, लेकिन लड्डू-जलेबी का महत्व भारतीय राजनीति में कभी खत्म नहीं हो सकता।
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