महाराष्ट्र की महायुति सरकार में फडणवीस और शिंदे विवाद (Fadnavis and Shinde Dispute) ने एक बार फिर से राजनीतिक अस्थिरता को जन्म दिया है। राज्य में सरकार बनने के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के बीच तनाव साफ दिख रहा है। हाल ही में, फडणवीस सरकार द्वारा कुछ महत्वपूर्ण निर्णयों को पलटे जाने से यह खाई और गहरी हो गई है।
फैसलों पर तकरार: क्या हैं मुख्य मुद्दे?
महाराष्ट्र सरकार के गठन के बाद से ही फैसलों की राजनीतिक खींचतान (Political Tug of War Over Decisions) चर्चा में है। भाजपा और शिवसेना के बीच की यह असहमति तब उजागर हुई, जब फडणवीस सरकार ने एकनाथ शिंदे के समय लिए गए तीन बड़े फैसलों को पलट दिया।
पहला मुद्दा स्कूल यूनिफॉर्म सप्लाई से जुड़ा है। शिंदे सरकार के एजुकेशन मिनिस्टर दीपक केसरकर ने सरकारी स्कूलों में यूनिफॉर्म की आपूर्ति के लिए एक अलग एजेंसी बनाने का प्रस्ताव रखा था। फडणवीस सरकार ने इस निर्णय को बदलते हुए ड्रेस खरीदने का अधिकार स्कूल मैनेजमेंट कमेटी को दे दिया।
दूसरा बड़ा मुद्दा महाराष्ट्र सड़क परिवहन निगम (MSRTC) की 1,310 बसों को लीज पर लेने के फैसले से संबंधित है। शिंदे सरकार ने निजी एजेंसियों के साथ यह समझौता किया था, जिसे फडणवीस सरकार ने खारिज कर दिया।
तीसरा मामला 900 एंबुलेंस की खरीद का है। फडणवीस ने इस निर्णय को यह कहकर बदल दिया कि इसे बेहतर तरीके से कार्यान्वित किया जा सकता है।
Fadnavis and Shinde Dispute: नाराजगी क्यों?
शिवसेना के नेताओं का कहना है कि ये बदलाव बिना किसी परामर्श के किए गए। इससे जनता के बीच यह संदेश गया है कि शिंदे सरकार के फैसले या तो गलत थे या उनका कोई महत्व नहीं था। शिवसेना ने स्पष्ट किया कि इस तरह के एकतरफा फैसले भाजपा और शिवसेना के रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं।
भाजपा और एनसीपी के समीकरण
सिर्फ शिवसेना ही नहीं, बल्कि एनसीपी के अजित पवार खेमे ने भी फडणवीस सरकार द्वारा उनके कुछ फैसलों को पलटने पर नाराजगी जताई है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वे इसे सार्वजनिक रूप से विवाद का मुद्दा नहीं बनाएंगे।
प्रभारी मंत्रियों की नियुक्ति पर विवाद
नासिक और रायगड़ जिलों के लिए प्रभारी मंत्रियों की नियुक्ति ने इस विवाद को और बढ़ा दिया। शिवसेना का आरोप है कि इन नियुक्तियों में उनके गुट की अनदेखी की गई। इस मुद्दे पर खुद एकनाथ शिंदे ने फडणवीस से बात की और अपनी नाराजगी जाहिर की।
क्या कहता है यह विवाद?
महाराष्ट्र की राजनीति में सत्ता साझेदारी हमेशा से चुनौतीपूर्ण रही है। भाजपा और शिवसेना के बीच यह फडणवीस और शिंदे विवाद (Fadnavis and Shinde Dispute) स्पष्ट करता है कि सत्ता का संतुलन अभी तक सही ढंग से स्थापित नहीं हो पाया है।
महाराष्ट्र में फैसलों की राजनीतिक खींचतान (Political Tug of War Over Decisions) ने भाजपा और शिवसेना के बीच रिश्तों को कमजोर कर दिया है। हालांकि दोनों दल गठबंधन में हैं, लेकिन यह विवाद भविष्य में उनके रिश्तों को और चुनौतीपूर्ण बना सकता है।
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