फडणवीस बनाम ठाकरे: मुंबई में उभरा यह नया राजनीतिक विवाद महाराष्ट्र की राजनीति में एक और झटका लगा रहा है। इस विवाद की जड़ें मुंबई हमले के मामले और तत्कालीन मुख्य अभियोजक उज्ज्वल निकम की भूमिका को लेकर उठे विवाद में निहित हैं।
पूरा मामला तब सामने आया जब भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे पर विजय वडेट्टीवार द्वारा निकम पर लगाए गए आरोपों पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे वोटों की राजनीति के चलते चुप रहे हैं।
दरअसल, जब 2008 के मुंबई हमले के दोषियों को सजा सुनाई जा रही थी, तब शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे ने निकम की भूमिका की सराहना की थी। लेकिन अब वडेट्टीवार निकम पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। यही विरोधाभास देवेंद्र फडणवीस द्वारा उठाया गया है।
इस पूरे विवाद ने महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति पैदा कर दी है। भाजपा और शिवसेना (उबीटी) के बीच इस आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल पड़ा है। दोनों ही पक्ष एक-दूसरे पर हमलावर हो रहे हैं।
इस घटना से राजनीतिक दलों की सोच और रणनीतियों पर भी प्रकाश पड़ा है। एक तरफ बालासाहेब ठाकरे जैसे नेता ने निकम की सराहना की थी, वहीं अब उनके ही दल के एक नेता उन पर संदेह व्यक्त कर रहे हैं। यह सिर्फ मुद्दे नहीं बल्कि वोटरों को खुश करने की राजनीति भी दिखाता है।
जनता के बीच भी इस मुद्दे पर अलग-अलग राय बनी हुई है। जबकि कुछ लोग फडणवीस का आरोप सही मानते हैं, वहीं कुछ लोग शिवसेना (उबीटी) का पक्ष ले रहे हैं। यह विवाद लोकतंत्र में विचार-विमर्श और आलोचना के महत्व को भी रेखांकित करता है।
अंत में, इस विवाद के महाराष्ट्र की राजनीति और आगामी आम चुनाव पर गहरा असर पड़ेगा। क्या फडणवीस के आरोप भाजपा के हित में जाएंगे या उद्धव ठाकरे के पक्ष में जनमत होगा, यही देखना दिलचस्प होगा। राजनीतिक पंडितों की नजरें इस घटनाक्रम पर गड़ी रहेंगी।