Fake Govt Order: महाराष्ट्र के गांवों में विकास का सपना दिखाने वाली एक बड़ी साजिश का खुलासा हुआ है। पिछले साल 2024 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले, एक नकली सरकारी आदेश ने अहिल्यानगर जिले में करीब 6.94 करोड़ रुपये के बुनियादी ढांचे के काम शुरू करवा दिए। यह कोई छोटी-मोटी गलती नहीं थी, बल्कि एक सोची-समझी ठगी थी, जिसने ग्रामीण विकास विभाग को हिलाकर रख दिया। अब विभाग ने सभी जिला परिषदों और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को सतर्क रहने को कहा है, ताकि भविष्य में ऐसी धोखाधड़ी न हो। यह कहानी है उस नकली सरकारी आदेश की, जिसने गांवों की उम्मीदों के साथ खिलवाड़ किया।
बात अक्टूबर 2024 की है, जब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों की सरगर्मी जोरों पर थी। ग्रामीण विकास विभाग के तहत एक खास बजट, जिसे 2515 1238 कहा जाता है, गांवों में सड़कें, नालियां, शौचालय और पंचायत भवन जैसी बुनियादी सुविधाएं देने के लिए इस्तेमाल होता है। इस बजट के तहत हर साल 1500 से 2000 करोड़ रुपये के काम पूरे राज्य में किए जाते हैं। स्थानीय विधायकों की सलाह पर ये काम 5 लाख से लेकर 30 लाख रुपये तक की लागत में होते हैं। लेकिन अहिल्यानगर जिले में एक नकली सरकारी आदेश सामने आया, जिसमें 3 अक्टूबर 2024 को 6.94 करोड़ रुपये के विकास कार्यों को मंजूरी दी गई थी। इस आदेश के आधार पर जिले में टेंडर भी जारी हो गए।
जब ठेकेदारों ने इन कामों के लिए पैसे मांगे, तो मंत्रालय में बैठे अधिकारियों को कुछ गड़बड़ लगा। उन्होंने पुराने सरकारी आदेशों की जांच की और चौंकाने वाला सच सामने आया। 3 अक्टूबर को ऐसा कोई आदेश जारी ही नहीं हुआ था। यह नकली सरकारी आदेश था, जिसे किसी ने चतुराई से बनाया था। तुरंत भुगतान रोक दिया गया, और विभाग ने इसकी जांच शुरू कर दी। अहिल्यानगर के चार तालुकों—अहिल्यानगर, पारनेर, श्रीगोंदा और नेवासा में इस आदेश के आधार पर 45 विकास कार्य शुरू हो चुके थे। लेकिन अब सवाल यह है कि यह धोखाधड़ी सिर्फ एक जिले तक सीमित थी, या पूरे राज्य में और भी नकली आदेश जारी हुए?
ग्रामीण विकास विभाग ने 28 मार्च 2025 को एक सर्कुलर जारी किया। इसमें सभी जिला परिषदों और लोक निर्माण विभाग के सुपरिटेंडेंट इंजीनियरों को साफ हिदायत दी गई कि वे 2515 1238 बजट से जुड़े किसी भी सरकारी आदेश पर आंख मूंदकर भरोसा न करें। विभाग ने कहा कि सिर्फ soyoj6.rdd-mh@nic.in जैसे आधिकारिक ईमेल से आए आदेश को ही मान्यता दें। अगर कोई शक हो, तो तुरंत विभाग से संपर्क करें। इतना ही नहीं, इस तरह की धोखाधड़ी के लिए आपराधिक कार्रवाई शुरू करने की सलाह भी दी गई।
यह मामला इसलिए और गंभीर है, क्योंकि यह ठगी चुनावों के ठीक पहले हुई। 15 अक्टूबर से चुनावी आचार संहिता लागू होने वाली थी, और उससे पहले सरकार ने जल्दबाजी में हजारों करोड़ के विकास कार्यों को मंजूरी दी थी। ऐसा लगता है कि किसी ने इस मौके का फायदा उठाया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अभी सिर्फ अहिल्यानगर का मामला सामने आया है, लेकिन यह पता लगाना जरूरी है कि क्या अन्य जिलों में भी ऐसे नकली सरकारी आदेश जारी हुए। अगर ऐसा हुआ, तो यह ग्रामीण विकास ठगी का एक बड़ा नेटवर्क हो सकता है।
यह घटना सिर्फ पैसे की बर्बादी की बात नहीं है। यह उन गांवों के भरोसे की बात है, जो सालों से बेहतर सड़कों, नालियों और बुनियादी सुविधाओं का इंतजार कर रहे हैं। 25/15 योजना, जिसके तहत ये काम होते हैं, ग्रामीणों की जिंदगी आसान बनाने के लिए है। लेकिन नकली सरकारी आदेश ने इस योजना की साख पर सवाल उठा दिए। अब पुलिस और ग्रामीण विकास विभाग इस मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि दोषियों को पकड़ा जा सके और भविष्य में ऐसी ठगी को रोका जा सके।
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