Fake Ticketing at Mahim Station: मुंबई की लोकल ट्रेनें शहर की लाइफलाइन हैं। हर दिन लाखों लोग इन ट्रेनों से सफर करते हैं, और टिकट काउंटर पर लंबी-लंबी कतारें आम बात हैं। लेकिन हाल ही में महिम स्टेशन पर जो हुआ, उसने सबको हैरान कर दिया। एक आम नागरिक, जिसका रेलवे से कोई लेना-देना नहीं था, सरकारी टिकट काउंटर पर बैठकर टिकट बेचते हुए पकड़ा गया। इस घटना ने न सिर्फ रेलवे की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए, बल्कि चार रेलवे कर्मचारियों को भी निलंबित कर दिया गया।
ये सब शुरू हुआ 4 जुलाई, 2025 की रात, जब रेलवे की सतर्कता जांच टीम को महिम स्टेशन पर कुछ गड़बड़ होने की खबर मिली। रात करीब सात बजे, सतर्कता जांच दल, जिसमें चीफ विजिलेंस इंस्पेक्टर संदीप गोलकर, इंस्पेक्टर भविक द्विवेदी, संजय शर्मा और आरपीएफ हेड कांस्टेबल दिनेश गोस्वामी शामिल थे, ने महिम स्टेशन के अनारक्षित टिकट सिस्टम (यूटीएस) काउंटरों पर नजर रखना शुरू किया। करीब डेढ़ घंटे तक चुपके से निगरानी करने के बाद, रात 8:30 बजे टीम ने स्टेशन मास्टर के साथ बुकिंग ऑफिस में छापा मारा। वहां जो देखा, वो चौंकाने वाला था।
काउंटर नंबर 5 पर एक शख्स टिकट बेच रहा था, जो रेलवे का कर्मचारी था ही नहीं। उसका नाम था विनोद तानाजी दबंगे, उम्र 36 साल, पेशे से प्रिंटर रिपेयर टेक्नीशियन, जो कल्याण (पूर्व) के ओम साई नगर में रहता था। विनोद के पास न तो रेलवे का कोई पहचान पत्र था, न ही कोई आधिकारिक दस्तावेज। फिर वो सरकारी काउंटर पर टिकट कैसे बेच रहा था? ये सवाल हर किसी के मन में था।
जब सतर्कता जांच टीम ने बुकिंग ऑफिस में कदम रखा, तो असली रेलवे कर्मचारी पास के एक कमरे में बैठकर नाश्ता कर रहे थे। विनोद ने पूछताछ में बताया कि उसे चीफ बुकिंग सुपरवाइजर गणेश पाटिल ने बुलाया था और टिकट बेचने का काम सौंपा था। लेकिन विनोद के पास इसकी कोई लिखित अनुमति नहीं थी। सतर्कता जांच ने तुरंत कार्रवाई की और विनोद को रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ) के हवाले कर दिया। उसके पास से 2,650 रुपये की नकदी बरामद हुई, जिसे बाद में सरकारी खजाने में जमा कर दिया गया।
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। जांच में काउंटरों पर और भी गड़बड़ियां सामने आईं। काउंटर नंबर 5 पर 34 रुपये और काउंटर नंबर 6 पर 45 रुपये की अतिरिक्त नकदी मिली, जो यह दर्शाता है कि नकद राशि के प्रबंधन में भी लापरवाही बरती गई थी। इस पूरे मामले को दादर आरपीएफ पोस्ट पर दर्ज किया गया, जहां असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर अरविंद कुमार ने जांच रिपोर्ट और कर्मचारियों के बयान लिए। विनोद के खिलाफ रेलवे एक्ट की धारा 147 के तहत मामला दर्ज हुआ और उसे 7 जुलाई को रेलवे कोर्ट में पेश होने का नोटिस देकर रिहा कर दिया गया।
इस घटना के बाद रेलवे ने तुरंत चार कर्मचारियों को निलंबित कर दिया। इनमें अंगद देवीदास धवले (चीफ बुकिंग सुपरवाइजर, जनरल), रामशंकर आर. (चीफ बुकिंग सुपरवाइजर, इवनिंग इंचार्ज), गणेश पाटिल (चीफ बुकिंग सुपरवाइजर, महिम), और विजय देवदिगा (चीफ बुकिंग क्लर्क, महिम) शामिल थे। खास तौर पर गणेश पाटिल की भूमिका पर सवाल उठे, क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने ही विनोद को काउंटर पर बैठने की अनुमति दी थी।
महिम स्टेशन पर हुई इस फर्जी टिकटिंग की घटना ने रेलवे के आंतरिक नियंत्रण और निगरानी की खामियों को उजागर कर दिया। सतर्कता जांच अब इस बात की गहराई से पड़ताल कर रही है कि क्या ऐसी घटनाएं अन्य स्टेशनों पर भी हो रही हैं। रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों ने सख्त नियमों को लागू करने और नकद प्रबंधन की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने की बात कही है।
मुंबई की लोकल ट्रेनों में हर दिन लाखों लोग सफर करते हैं, और टिकट काउंटर उनकी यात्रा का एक अहम हिस्सा हैं। लेकिन इस तरह की लापरवाही ने यात्रियों के भरोसे को ठेस पहुंचाई है। रेलवे ने भरोसा दिलाया है कि इस मामले में दोषी पाए जाने वाले सभी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।