मशहूर मूर्तिकार राम सुतार, जिन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का डिजाइन तैयार किया था, को महाराष्ट्र सरकार द्वारा ‘महाराष्ट्र भूषण’ सम्मान से नवाजा जाएगा। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार, 20 मार्च को विधानसभा में इसकी घोषणा की। जानकारी हो कि ये राज्य का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जिसे विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है।
100 वर्ष की उम्र में भी सक्रिय योगदान
राम सुतार पिछले महीने 100 वर्ष के हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद वे अब भी अपनी कला में सक्रिय हैं। वे मुंबई के इंदु मिल स्मारक परियोजना में डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा पर काम कर रहे हैं। इससे पहले उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में बताया कि 12 मार्च को उनकी अध्यक्षता में हुई समिति की बैठक में सर्वसम्मति से ये निर्णय लिया गया कि राम सुतार को ‘महाराष्ट्र भूषण’ सम्मान दिया जाएगा।
प्रमुख कलाकृतियों में योगदान
राम सुतार अपने बेटे अनिल सुतार के साथ मिलकर कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं से जुड़े रहे हैं। उनकी कुछ प्रमुख कृतियां इस प्रकार हैं –
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (गुजरात) – यह 182 मीटर ऊंची है और दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति मानी जाती है।
भगवान राम की मूर्ति (अयोध्या) – 251 मीटर ऊंची प्रतिमा।
भगवान शिव की मूर्ति (बेंगलुरु) – ये प्रतिमा 153 फीट ऊंची है।
छत्रपति संभाजी महाराज की प्रतिमा (पुणे) – मोशी में स्थित इस प्रतिमा की ऊंचाई 100 फीट है।
शिवाजी महाराज की नई प्रतिमा का निर्माण
पिछले वर्ष महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के मालवन में राजकोट किले में स्थापित छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फीट ऊंची प्रतिमा गिर गई थी, जिससे बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया था। इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने 60 फीट ऊंची नई प्रतिमा के निर्माण की जिम्मेदारी राम सुतार की कंपनी ‘राम सुतार आर्ट क्रिएशंस प्राइवेट लिमिटेड’ को दी। ये वही कंपनी है जिसने ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ का निर्माण किया था।
महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार में क्या मिलता है?
‘महाराष्ट्र भूषण’ पुरस्कार के तहत 25 लाख रुपये की राशि और एक स्मृति चिह्न दिया जाता है। ये सम्मान राज्य के उन व्यक्तियों को प्रदान किया जाता है, जिन्होंने कला, साहित्य, समाजसेवा, विज्ञान और खेल के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया हो।
राम सुतार का ये सम्मान न केवल उनकी कला के प्रति समर्पण को दर्शाता है, बल्कि भारतीय मूर्तिकला की समृद्ध परंपरा का भी प्रतीक है।
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