महाराष्ट्र

Farm Loan Waiver: महाराष्ट्र में शेतकऱ्यांची कर्जमाफी के लिए नई समिति, बच्चू कडू के अनशन ने बढ़ाया दबाव

Farm Loan Waiver: महाराष्ट्र में शेतकऱ्यांची कर्जमाफी के लिए नई समिति, बच्चू कडू के अनशन ने बढ़ाया दबाव
Mumbai: Maharashtra Chief Minister Devendra Fadnavis addresses a press conference on loan waiver, in Mumbai on Saturday. PTI Photo by Santosh Hirlekar(PTI6_24_2017_000109B)

महाराष्ट्र में शेतकऱ्यांची कर्जमाफी (Farm Loan Waiver) की मांग को लेकर सरकार ने एक नई समिति गठन की घोषणा की है। यह खबर 15 जून 2025 को महाराष्ट्र के किसानों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आई है। मुंबई से प्राप्त जानकारी के अनुसार, राज्य सरकार ने यह कदम पूर्व विधायक बच्चू कडू के सात दिनों से चल रहे अनशन के बाद उठाया है। बच्चू कडू अमरावती जिले में शेतकऱ्यांची कर्जमाफी, किसानों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए मासिक सम्मान राशि जैसे मुद्दों पर आंदोलन कर रहे हैं। उनकी मांगों ने पूरे राज्य में किसानों के बीच एक नई जागरूकता पैदा की है।

महाराष्ट्र सरकार ने राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले के नेतृत्व में यह घोषणा की कि अगले 15 दिनों में एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति किसानों के कर्ज माफी के मुद्दे पर गहराई से विचार करेगी और अपनी रिपोर्ट के आधार पर सरकार अंतिम निर्णय लेगी। बावनकुले ने बच्चू कडू को पत्र लिखकर यह आश्वासन दिया कि कर्ज माफी के साथ-साथ कर्ज वसूली को स्थगित करने और डिफॉल्टर किसानों को नए कर्ज देने के लिए विशेष बैठक आयोजित की जाएगी। यह पत्र उद्योग मंत्री उदय सामंत ने कडू को सौंपा, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले रही है।

बच्चू कडू का आंदोलन केवल कर्ज माफी तक सीमित नहीं है। उन्होंने किसानों के बच्चों के लिए शिक्षा में सहायता और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए 6,000 रुपये की मासिक सम्मान राशि की मांग भी उठाई है। उनके इस आंदोलन को सभी प्रमुख राजनीतिक दलों का समर्थन मिला है। NCP-SP के प्रमुख शरद पवार ने भी कडू से फोन पर बात की और उनके आंदोलन को समर्थन दिया। कडू ने 15 जून को राज्यव्यापी सड़क जाम आंदोलन की योजना बनाई थी और 16 जून से पानी त्यागने की घोषणा की थी। उनकी इस घोषणा ने सरकार पर दबाव बढ़ाया, जिसके परिणामस्वरूप समिति गठन का फैसला लिया गया।

इस बीच, विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाए हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता बालासाहेब थोरात ने पूछा कि जब विधानसभा चुनाव के दौरान महायुति गठबंधन ने शेतकऱ्यांची कर्जमाफी का वादा किया था, तब समिति की बात क्यों नहीं की गई। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे को टालने के लिए समिति का गठन कर रही है। थोरात ने यह भी कहा कि सरकार के पास राजमार्ग निर्माण के लिए लाखों करोड़ रुपये हैं, लेकिन किसानों के कर्ज माफ करने के लिए धन नहीं है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने भी सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह जनता को गुमराह करने की कोशिश है। उन्होंने लाडकी बहिन योजना के तहत 2,100 रुपये देने के वादे को भी पूरा न करने का आरोप लगाया।

महाराष्ट्र में किसानों की स्थिति लंबे समय से चिंताजनक रही है। सूखा, बेमौसम बारिश और कम फसल कीमतों ने किसानों को कर्ज के जाल में फंसा दिया है। कई किसान निजी साहूकारों से ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज लेने को मजबूर हैं, क्योंकि बैंक डिफॉल्टर किसानों को नया कर्ज देने से इनकार करते हैं। बच्चू कडू का कहना है कि कर्ज माफी से न केवल किसानों का आर्थिक बोझ कम होगा, बल्कि उनकी आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं पर भी रोक लगेगी। उनके आंदोलन ने यह सवाल उठाया है कि क्या सरकार वास्तव में किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।

14 जून 2025 को बावनकुले ने कडू से मुलाकात की और CM देवेंद्र फडणवीस से फोन पर बात की। उन्होंने आश्वासन दिया कि कर्ज माफी का निर्णय मंत्रिमंडल के साथ विचार-विमर्श के बाद लिया जाएगा। इसके अलावा, विधानसभा के आगामी मानसून सत्र में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए सम्मान राशि के लिए बजटीय प्रावधान पर निर्णय लिया जाएगा। कडू की अन्य मांगों पर भी CM और संबंधित मंत्रियों की बैठक में चर्चा होगी।

हालांकि, इस घोषणा के बावजूद कुछ किसानों और कार्यकर्ताओं में असंतोष है। उपमुख्यमंत्री अजित पवार के एक कार्यक्रम में कडू के समर्थकों ने कर्ज माफी की मांग को लेकर हंगामा किया। पुलिस को बल प्रयोग कर प्रदर्शनकारियों को हटाना पड़ा। पवार ने वहां मौजूद लोगों को बताया कि सरकार ने सभी मांगों पर विचार के लिए समिति गठन का फैसला किया है। यह घटना दर्शाती है कि किसानों में कर्ज माफी को लेकर कितनी बेचैनी है।

महाराष्ट्र में पहले भी कई बार कर्ज माफी योजनाएं लागू की गई हैं। 2017 में देवेंद्र फडणवीस सरकार ने 34,000 करोड़ रुपये की कर्ज माफी योजना शुरू की थी, जिसमें 89 लाख किसानों को लाभ मिला था। 2020 में उद्धव ठाकरे सरकार ने भी महात्मा ज्योतिराव फुले शेतकरी कर्जमुक्ति योजना के तहत लाखों किसानों के कर्ज माफ किए थे। लेकिन इन योजनाओं की आलोचना भी हुई, क्योंकि कई बार जरूरतमंद किसानों को लाभ नहीं मिल पाया, जबकि बड़े किसानों को फायदा हुआ। इस बार बच्चू कडू की मांग है कि केवल जरूरतमंद और छोटे किसानों को ही कर्ज माफी का लाभ मिले।

किसानों की यह मांग केवल आर्थिक राहत तक सीमित नहीं है। यह एक सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा भी है। स्थानीय निकाय चुनाव नजदीक होने के कारण सरकार पर दबाव है कि वह किसानों की मांगों को गंभीरता से ले। समिति का गठन इस दिशा में एक कदम है, लेकिन इसका असर तभी होगा जब यह जल्दी और पारदर्शी तरीके से अपनी सिफारिशें दे। महाराष्ट्र के किसान अब इस समिति की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, जो उनके भविष्य को नई दिशा दे सकती है।

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