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दिल्ली कूच की तैयारी में किसान: जानें क्या हैं उनकी मांगें और प्रदर्शन की योजना?

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दिल्ली एक बार फिर किसानों के आंदोलन का केंद्र बनने जा रही है। दरअसल भारतीय किसान परिषद (BKP) और अन्य किसान संगठनों ने नए कृषि कानूनों के तहत उचित मुआवजा और लाभ की मांग को लेकर प्रदर्शन का ऐलान किया है। BKP का मार्च 2 दिसंबर को नोएडा से शुरू हुआ, जबकि अन्य संगठन 6 दिसंबर को दिल्ली की ओर कूच करेंगे। पंजाब-हरियाणा सीमा पर पहले से डटे किसान भी इस आंदोलन का हिस्सा बनेंगे।

किसान संगठनों की प्रमुख मांगें
किसानों ने अपनी आवाज बुलंद करने के लिए 7 प्रमुख मांगें रखी हैं:

  1. कानूनी गारंटी वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)
  2. कृषि ऋण माफी
  3. किसानों और मजदूरों के लिए पेंशन
  4. पिछले विरोध प्रदर्शनों के दौरान दर्ज मामलों की वापसी
  5. 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय
  6. भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली
  7. 2020-21 के आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा

क्या कहा BKP के नेता ने?
BKP के नेता सुखबीर खलीफा ने कहा, “हम दिल्ली कूच करने के लिए तैयार हैं। हमारा मार्च नोएडा के महामाया फ्लाईओवर से शुरू होगा। हम नए कानूनों के तहत अपना हक मांगेंगे।”

अन्य संगठनों की भागीदारी
किसान मजदूर मोर्चा (KMM) और संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) जैसे कई संगठन 6 दिसंबर से अपने प्रदर्शन की शुरुआत करेंगे। देशभर में, केरल, उत्तराखंड, और तमिलनाडु जैसे राज्यों में किसान संगठन अपनी-अपनी विधानसभाओं तक प्रतीकात्मक मार्च करेंगे।

प्रदर्शन का रूट और कार्यक्रम
मार्च का रूट बेहद रणनीतिक है।

  • नोएडा में महामाया फ्लाईओवर से शुरुआत
  • पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर विरोध कर रहे किसान 6 दिसंबर को दिल्ली के लिए रवाना होंगे।
  • प्रमुख पड़ाव: अंबाला, मोहरा अनाज मंडी, खानपुर जट्टान और पिपली।
  • यात्रा का समय: सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक।
  • किसान सड़क पर ही आराम करेंगे।

किसान आंदोलन का उद्देश्य और सरकार की प्रतिक्रिया
18 फरवरी को हुई पिछली बातचीत में सरकार ने दाल, मक्का, और कपास जैसी फसलों के MSP पर खरीद की पेशकश की थी। हालांकि, किसानों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा, “हम MSP पर कानूनी गारंटी चाहते हैं। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग स्वीकार्य नहीं है। सरकार ने बातचीत बंद कर दी है, जिससे हमारा असंतोष बढ़ रहा है।”

दिल्ली पर टिकी नजरें
किसानों का प्रदर्शन उनके अधिकारों और मांगों को लेकर सरकार के रवैये के प्रति गहरी असंतुष्टि को दर्शाता है। जैसे-जैसे प्रदर्शन तेज हो रहा है, ये देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन मांगों का समाधान कैसे करती है।

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