मुंबई की सड़कों से लेकर त्रिनिदाद और टोबैगो की धरती तक, एक ऐसी कहानी सामने आई है जो दिल दहला देती है। महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी के बेटे और एनसीपी नेता जीशान सिद्दीकी को जान से मारने की धमकी देने वाले शख्स को आखिरकार सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया है। ये कहानी न सिर्फ अपराध और साहस की है, बल्कि ये भी दिखाती है कि कानून की पहुंच कितनी लंबी हो सकती है।
धमकी का साया: एक डरावना सिलसिला
अप्रैल 2025 की 19, 20 और 21 तारीख को जीशान सिद्दीकी के इनबॉक्स में एक के बाद एक धमकी भरे ईमेल आए। इन संदेशों में लिखा था कि अगर 10 करोड़ रुपये की मांग पूरी नहीं की गई, तो उनकी और उनके पिता बाबा सिद्दीकी की हत्या कर दी जाएगी। धमकी देने वाले ने खुद को कुख्यात D-कंपनी का सदस्य बताया, जिसने इस मामले को और भी गंभीर बना दिया।
इन धमकियों ने जीशान और उनके परिवार को डर के साये में ला दिया। लेकिन जीशान ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने तुरंत बांद्रा पुलिस में शिकायत दर्ज की, और पुलिस ने भी फौरन कार्रवाई शुरू कर दी। जीशान की सुरक्षा बढ़ाई गई, और अज्ञात आरोपी के खिलाफ FIR दर्ज की गई।
इंटरपोल की मदद से वैश्विक खोज
पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और जांच को मुंबई क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ। धमकी देने वाला शख्स, जिसका नाम मोहम्मद दिलशाद मोहम्मद नौवेद बताया जा रहा है, बिहार के दरभंगा का रहने वाला था, लेकिन वो त्रिनिदाद और टोबैगो में छिपा हुआ था।
मुंबई पुलिस ने समय न गंवाते हुए 28 अप्रैल को एक लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी किया। इसके बाद इंटरपोल की मदद से रेड कॉर्नर नोटिस जारी हुआ, जिसने इस अपराधी को वैश्विक स्तर पर ट्रैक करने की राह खोल दी। आखिरकार, त्रिनिदाद और टोबैगो में उसे गिरफ्तार कर लिया गया और बुधवार को भारत डिपोर्ट कर दिया गया।
मुंबई वापसी और सवालों का सिलसिला
अब मोहम्मद दिलशाद को मुंबई लाया गया है, जहां क्राइम ब्रांच उससे गहन पूछताछ कर रही है। इस सनसनीखेज मामले में कई सवाल अभी भी अनुत्तरित हैं। क्या ये सिर्फ एक व्यक्ति का काम था, या इसके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क है? क्या D-कंपनी का नाम सिर्फ डराने के लिए इस्तेमाल किया गया, या इसमें कोई गहरी साजिश है?
इंसाफ की राह पर
जीशान सिद्दीकी और उनके परिवार के लिए ये एक डरावना समय रहा होगा, लेकिन पुलिस और इंटरपोल की त्वरित कार्रवाई ने ये साबित कर दिया कि कानून की नजर से कोई नहीं बच सकता। इस गिरफ्तारी के बाद उम्मीद है कि आने वाले दिनों में इस मामले में और भी खुलासे होंगे।
ये सच्ची कहानी सिर्फ एक अपराध की नहीं, बल्कि हिम्मत, साहस और इंसाफ की जीत की है। मुंबई की गलियों से लेकर विदेश की धरती तक, ये मामला हमें याद दिलाता है कि सच्चाई और कानून की ताकत हर चुनौती को पार कर सकती है।
ये भी पढ़ें: वानखेड़े स्टेडियम में शरद पवार को मिलेगा खास स्थान, MCA ने किया बड़ा ऐलान