FIRs for Pigeon Feeding in Mumbai: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मुंबई में कबूतरों को दाना डालने को सार्वजनिक उपद्रव और स्वास्थ्य के लिए खतरा बताया। जस्टिस जी.एस. कुलकर्णी और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की बेंच ने बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) को आदेश दिया कि जो लोग सार्वजनिक जगहों पर कबूतरों को दाना डाल रहे हैं, उनके खिलाफ FIR दर्ज की जाए। कोर्ट ने कहा कि यह हर उम्र के लोगों के लिए स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है।
यह मामला तब सामने आया, जब कुछ पशु प्रेमियों, पल्लवी पाटिल, स्नेहा विसारिया और सविता महाजन ने BMC के कबूतरखानों को तोड़ने के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की। कोर्ट ने 3 जुलाई को पुराने ऐतिहासिक कबूतरखानों को तोड़ने पर रोक लगाई थी, लेकिन साफ कहा कि वहां कबूतरों को दाना डालने की इजाजत नहीं दी जाएगी। फिर भी, लोग दादर और अन्य कबूतरखानों में दाना डालते रहे। कोर्ट ने तस्वीरों और खबरों का हवाला देते हुए कहा कि यह गंभीर मामला है और तुरंत कार्रवाई जरूरी है।
BMC को निर्देश दिया गया कि वह कबूतरखानों में कबूतरों के जमावड़े को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए। इसमें CCTV कैमरे लगाने और बीट मार्शल तैनात करने की बात शामिल है। कोर्ट ने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर नियम तोड़ रहे हैं और BMC अधिकारियों को उनके काम में बाधा डाल रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत केस दर्ज करने की इजाजत दी गई, जिसमें सार्वजनिक उपद्रव और बीमारियां फैलाने जैसे अपराध शामिल हैं।
3 जुलाई 2025 को महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा में ऐलान किया था कि मुंबई के सभी 51 कबूतरखानों को तुरंत बंद किया जाएगा। उसी दिन BMC को आदेश दिया गया कि दाना डालने वालों पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाए। कई हाउसिंग सोसाइटीज ने भी खिड़कियों या बालकनियों से कबूतरों को दाना डालने पर रोक लगाई है, जिसमें 500 से 1,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। साथ ही, महामारी रोग अधिनियम, 1897 और महाराष्ट्र नगर निगम अधिनियम, 1949 की धारा 381(b) के तहत और कार्रवाई हो सकती है।
कोर्ट ने BMC की ढीली कार्रवाई पर नाराजगी जताई और कहा कि सिर्फ गैर-जमानती शिकायत (NC) दर्ज करना काफी नहीं है। दादर कबूतरखाने की तस्वीरों में भारी भीड़ और गंदगी दिखी, जहां लोग सड़क पर अनाज फेंक रहे थे। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर कोई इन आदेशों का उल्लंघन करता है, तो यह अदालत की अवमानना होगी। अगली सुनवाई 7 अगस्त को होगी।