उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराबाद में आयोजित स्वयंभू संत भोले बाबा के सत्संग में भगदड़ मचने से 100 से अधिक लोगों की जान चली गई है। सत्संग में भारी भीड़ थी। आइए जानते हैं कि स्वयंभू संत भोले बाबा कौन हैं।
भोले बाबा का परिचय
भोले बाबा का असली नाम अज्ञात है, लेकिन वे मूल रूप से कांशीराम नगर (कासगंज) के पटियाली गांव के रहने वाले हैं। वे उत्तर प्रदेश पुलिस में 18 साल तक नौकरी कर चुके हैं, लेकिन अब वे एक संत के रूप में जाने जाते हैं।
बचपन और शुरुआती जीवन
भोले बाबा का बचपन खेती-बाड़ी करते हुए बीता। वे अपने पिता के साथ खेतों में काम करते थे। बड़े होकर उन्होंने यूपी पुलिस में नौकरी कर ली और राज्य के कई थानों में अपनी सेवाएं दीं। उनकी पोस्टिंग इंटेलिजेंस यूनिट में भी रही।
पुलिस की नौकरी और वीआरएस
18 साल की सेवा के बाद भोले बाबा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली। इसके बाद उन्होंने अपने गांव में एक झोपड़ी बनाकर रहना शुरू कर दिया और आसपास के इलाकों में भगवान की भक्ति का प्रचार करने लगे।
आध्यात्मिक अनुभव
भोले बाबा का दावा है कि वीआरएस लेने के बाद उन्हें भगवान से साक्षात्कार हुआ। इस अनुभव के बाद उनका झुकाव अध्यात्म की ओर हो गया और उन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान की भक्ति में समर्पित कर दिया। उनका कहना है कि उनके जीवन में कोई गुरु नहीं रहा है।
भक्तों के साथ संबंध
भोले बाबा बताते हैं कि वे अपने भक्तों की पुकार पर ही विभिन्न स्थानों पर जाते हैं। वे खुद कहीं नहीं जाते, बल्कि उनके भक्त उन्हें बुलाते हैं और वे उनकी फरियाद पर ही वहां पहुंचते हैं।
भगदड़ का हादसा
हाथरस के सिकंदराबाद में आयोजित सत्संग में बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे थे। भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई, जिससे 100 से अधिक लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल हो गए। हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है।
भोले बाबा की इस घटना ने एक बार फिर उनके जीवन और उनकी अध्यात्मिक यात्रा की ओर ध्यान आकर्षित किया है। उनके दावों और भक्ति के प्रति उनके समर्पण को जानने के बाद, यह समझना आसान हो जाता है कि क्यों इतने लोग उनके सत्संग में शामिल होते हैं।
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